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मुज़फ्फरनगर में बेलगाम अवैध मिट्टी खनन: पर्यावरण और जान को खतरा, शिकायतों के बाद भी प्रशासन मौन

 

मुज़फ्फरनगर में मिट्टी का अवैध खनन थमने का नाम नहीं ले रहा है। शहर के चारों ओर खनन माफिया बेखौफ होकर धरती का सीना चीर रहे हैं, जिससे न सिर्फ पर्यावरण को भारी नुकसान हो रहा है, बल्कि सड़कों पर मिट्टी से भरी ट्रैक्टर-ट्रॉलियां मौत का कारण बन रही हैं। जौली रोड सहित कई इलाकों में ये वाहन बिना किसी रोक-टोक के तेज रफ्तार में दौड़ रहे हैं, लेकिन न तो प्रशासन की आंखें खुल रही हैं और न ही कानून का कोई डर इन माफियाओं को रोक पा रहा है।

 

मिट्टी से लदी ट्रैक्टर-ट्रॉलियां सड़कों पर अनियंत्रित रफ्तार से चल रही हैं, जिससे हादसों का खतरा बढ़ गया है। ये वाहन न केवल सड़कों को नुकसान पहुंचा रहे हैं, बल्कि लोगों की जान के लिए भी खतरा बन गए हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि इन ट्रैक्टर-ट्रॉलियों की वजह से आए दिन दुर्घटनाएं हो रही हैं, लेकिन खनन विभाग कुम्भकर्णी नींद सोया हुआ है।

शिकायतें बेअसर

किसान नेताओं ने बार-बार इस मुद्दे को उठाया और खनन विभाग से लेकर जिला प्रशासन तक शिकायतें कीं, लेकिन हालात जस के तस बने हुए हैं। किसानों का आरोप है कि माफिया उनके खेतों से मिट्टी खोदकर ले जा रहे हैं, जिससे उनकी जमीन बंजर हो रही है। इसके बावजूद, खनन विभाग और प्रशासन की ओर से कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो रही।

बढ़ता संकट

शहर के आसपास हो रहा बेलगाम मिट्टी खनन पर्यावरण के लिए बड़ा खतरा बन गया है। जेसीबी मशीनों से बेतहाशा खुदाई के कारण मिट्टी का कटाव बढ़ रहा है, जिससे धूल प्रदूषण और जल संकट की समस्या गहरा रही है। खनन माफिया अपने फायदे के लिए पर्यावरण से खिलवाड़ कर रहे हैं, लेकिन जिम्मेदार विभाग चुप्पी साधे हुए हैं।

जौली रोड पर माफियाओं का आतंक

जौली रोड पर मिट्टी से भरी ट्रैक्टर-ट्रॉलियां दिन-रात बेखौफ दौड़ रही हैं। यह इलाका अवैध खनन का गढ़ बन गया है, जहां माफियाओं को न प्रशासन का डर है और न ही कानून का खौफ। स्थानीय लोगों का कहना है कि पुलिस चौकियों के पास भी खनन का खेल चल रहा है, लेकिन कोई रोकने वाला नहीं है।

कार्रवाई का इंतजार मुजफ्फरनगर में मिट्टी खनन का यह बेकाबू सिलसिला कब थमेगा, यह सवाल हर किसी के मन में है। लोग प्रशासन से सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं, ताकि पर्यावरण को बचाया जा सके और सड़कों पर मौत बनकर दौड़ रही इन ट्रैक्टर-ट्रॉलियों पर लगाम लग सके। लेकिन जब तक खनन विभाग और प्रशासन जागृत नहीं होते, तब तक यह संकट बरकरार रहेगा।

 

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