कुशीनगर के पडरौना में विवाद के बाद महिलाओं को भी पुलिस ने भेजा जेल।
कुशीनगर के पडरौना में 7 अक्टूबर को मां दुर्गा की प्रतिमा ले जाते समय गाना बजाने पर विवाद हुआ था। जिसमें दो समुदाय के लोग आपस मे भीड़ गए। दोनों तरफ से लाठी-डंडे और ईट पत्थर चले। जिसका वीडिओ भी सामने आया।
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इसके बाद मुस्लिम समुदाय के 10 लोगों को हिरासत में लेकर कोतवाली भेजा गया और फोर्स तैनात की गई। इस मामले में पुलिस दो दिनों तक छापेमारी कर महिलाओं, नाबालिग बच्चों समेत 33 लोगों को जेल भेजा। साथ 150 अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर मामले की जांच कर रही है।
7 अक्टूबर की घटना के बाद कई घरों में ताले लटके हुए हैं। जो घर खुले हैं, वहां सिर्फ बच्चे और बुजुर्ग महिलाएं हैं। विवाद के बाद परौना छावनी में डर का माहौल हैं। पहले तो लोग कैमरा देख कुछ बोलने से मना करने लगे, लेकिन जिन परिवार के लोग जेल गए हैं। वह बोलने को तैयार हुए।
उन्होंने बताया कि गाने को लेकर विवाद हुआ था। मुस्लिम बाहुल्य इलाके से दुर्गा माँ की मूर्ति गुजर रही थी। उस शोभायात्रा में डीजे पर कुछ विवादित गाना बजाया जा रहा था। जिस पर मुस्लिम युवकों ने गाने का विरोध किया। जिसके बाद दोनों गुटों में मारपीट शुरू हो गई। विवाद इतना बढ़ा की लोग आमने-सामने आ गए।
पडरौना में 7 अक्टूबर को बवाल के बाद घर में लटका ताला।
पथराव करने का आरोप था हिन्दू पक्ष का आरोप है कि इसी दौरान विशेष समुदाय द्वारा ईंट पत्थर मां दुर्गे की प्रतिमा पर चलाया गया। जिससे मां दुर्गा की प्रतिमा खंडित हो गई। माँ दुर्गा की प्रतिमा पर पथराव के बाद पुलिस ने तत्काल मौके से 10 युवकों को गिरफ्तार भी किया। जब कि 8 अक्टूबर को यह संख्या बढ़कर 15 हो गई, लेकिन शाम होते होते बवालियों की संख्या 33 पहुंच गई।
विवादित गाना बजाने पर हुआ बवाल मुस्लिम परिवारों की दिक्कत बताते हुए इमामुद्दीन अली कहते हैं डीजे पर गाना बजाय जा रहा था कि विवादित गाना बज रहा था। इसी का विरोध कुछ युवकों ने किया। मौके पर पुलिस नहीं थी। जिन्होंने अपराध किया उनको सजा हो, लेकिन पुलिस उनके साथ घर की महिलाए जिनके दुधमुंहे बच्चे है और एक बुजुर्ग महिला को भी जेल भेजा।
पडरौना में आरोपियों की गिरफ्तारी पर बुजुर्ग महिला ने उठाया सवाल।
बच्चों और बहूओं को ले जा रही पुलिस इतना ही नहीं जिनके बच्चे थे। उनके मां और बाप को पुलिस दबाव बनाने के लिए बैठा ली। 11 साल, 12 साल के लड़कों को भी जेल भेज दिया। हमारी बात कोई सुनने वाला नहीं है। रोते हुए महिला सबरा ने बताया कि पुलिस हम लोगों के घर मे घुस बच्चों और बहूओं को ले जा रही। कोई अपने बेगुनाह होने की बात कह रहा तो घर बुलडोजर से गिरवाने की धमकी भी दे रही।
पडरौना में हंगामे के बाद से घरों नहीं निकल रहे लोग।
दुधमुंहे बच्चे की मां को ले गई पुलिस 3 मासूम बच्चों के साथ घर के बाहर आकर अजहर ने बताया कि मेरी पत्नी मोहल्ले में शोर सुनकर बाहर आई। दरवाजे पर से पुलिस उसे उठा ले गई। अब मै अपने एक दुधमुंहे बच्चे के साथ दो और छोटे मासूमों को लेकर परेशान हूं। सब अपनी मां को खोज रहे है। लेकिन मैं क्या करूँ। सबसे छोटा मां के दूध के बिना कैसे रह रहा? इससे बहुत परेशान हो गया। घर छोड़ कर अपने पत्नी को छुड़ाने जाऊ या इन बच्चों की देखभाल करूं। डर भी है कि पुलिस कभी भी हमें उठा ले जाएगी, लेकिन बाप हूं बिन मां के इन बच्चों को लेकर कहा चला जाऊं। जेल में बन्द इनकी मां से कैसे मिलाऊ कुछ समझ नहीं आ रहा।
पडरौना में 7 अक्टूबर को बवाल के बाद बाजार में पसरा सन्नाटा, पुलिस गश्त करती।
पत्रकार को भी जेल भेजा स्थानीय लोगों ने नाम न बताने के शर्त पर कहा कि इस मामले में पुलिसिया कार्रवाई की पोल तो यहीं खुल जाती है कि एक पत्रकार को भी जेल भेज दिया। जबकि वो घटना के समय वहां मौजूद भी नहीं था। इसके गवाह तो तमाम मीडिया कर्मी भी है कि वो पत्रकार सारी घटना खत्म होने के बाद मौके पर पहुंचा था। लेकिन उसी दिन देर रात पुलिस उसके कार्यालय से उठा ले गई और जेल भी भेज दिया।
कुछ पत्रकारों ने इस पर कोतवाल से बात की तो उन्होंने बदसुलूकी की। जिसके बाद पुलिस अधीक्षक की पीसी का काफी समय पत्रकारों ने बहिष्कार भी किया। एसपी ने एएसपी को भेज उनसे मामला जाना। कोतवाल को फटकार भी लगाई एसपी ने आफ द रिकार्ड पुलिस की कमी स्वीकार की और मामले को दिखवाने की बात कही, लेकिन पत्रकार का नाम कागजी कार्रवाई में दर्ज होने के कारण जेल भी भेजा।
पत्नी को जेल भेजने के बाद बच्चों का पालन पोषण कर रहा पिता भावुक हुआ।
गिरफ्तार लोगों की परेड कराई कुशीनगर पुलिस ने गिरफ्तार लोगों की परेड कराई और एसपी संतोष मिश्रा ने प्रेस वार्ता करके यह संदेश देने का प्रयास किया कि जो त्योहारों में खलल डालेगा उसका अंजाम यही होगा। लेकिन संवेदनशील इलाको में पुलिस की व्यवस्था या अन्य जरूरी तैयारियां कैसी थी। जिनकी वजह से बवाल हुआ उस पर कुछ नहीं बोले।