मेरा बेटा काम से गया था। देर रात नहीं लौटा तो चिंता हुई। आसपास काफी तलाश किया लेकिन पता नहीं चला। इसके बाद गुमशुदगी दर्ज कराई। आज दो महीने बीत चुके हैं, कुछ पता नहीं चला कि इस दुनिया में है या किसी ने मार दिया।
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पुलिस ने भी कुछ दिन तलाश करने के बाद दबाव बनाकर लिखवा लिया कि हम उनकी कार्रवाई से संतुष्ट है। अब मंदिरों के चक्कर काटते हैं कि शायद मिल जाए… ये दर्द है एक मां का… जिनका 23 साल का लड़को दो महीने से गायब है। उसकी तलाश में दर-दर भटक रही हैं।
ये तस्वीर मीना केसवानी की है। जिनका लड़का अमन दो महीने पहले लापता हो गया था।
चलिए पूरी घटना को सिलसिलेवार समझते हैं…
सुभाष नगर रकाबगंज वजीरगंज का रहने वाला अमन केसरवानी पुत्र स्वर्गीय चंद्रिका प्रसाद 14 जुलाई को लापता हो गया। काफी तलाश करने के बाद वजीरगंज थाने में 18 जुलाई को गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई। तब से आज तक मां मीना केसरवानी उसकी तलाश कर रही हैं।
मां मीना केसरवानी का कहना है कि रात को 10 बजे अमन घर से गया था। इसके बाद देर 12 बजे तक नहीं लौटा चौराहे पर लोगों से पूछताछ की। तब पता चला कि उस रात इलाके के रहने वाले अंकुर नाम के लड़के से ऑटो में बैठकर शराब पीने को लेकर मारपीट हुई थी।
वहां से लड़ाई खत्म करवाकर अंकुर का लल्लू और मानू अपने साथ लेकर चले गए। फिर अमन के बारे में मानू से पूछा तो बताया कि अमन के साथ रात 2 बजे तक शराब पी। उसने इतना ज्यादा पी थी कि चल नहीं पा रहा था। फिर कहने लगा कि डालीगंज पर छोड़ दो। इसके बाद वहां से उठकर चला गया। उस दिन से घर नहीं लौटा।
पूरे शहर में लगवाया गुमशुदा का पोस्टर लेकिन कुछ पता नहीं चला।
पुलिस में जिनका नाम दिया उनसे नहीं की पूछताछ मीना केसरवानी कहना है कि इन लोगों ने शराब के नशे में अमन को काफी मारापीटा। जिसकी शिकायत पुलिस से की थी लेकिन पुलिस ने इन लोगों से पूछताछ नहीं की। जबकि इन लड़कों को अमन के बारे में पूरी जानकारी है।
अंकुर, लल्ला और मानू पर इसलिए पूरा शक है कि अमन के गायब होने के एक दिन बाद उसकी गाड़ी लाकर वापस कर दी। उसके और भी सामान जो इन लोगों ने गिरवी रखे थे सब दे दिए। पुलिस अगर कड़ाई करती तो मिल जाता।
थाने से लेकर सीएम पोर्टल तक शिकायत की। दबाव पड़ा तो हमें थाने पर बुलाया गया और जबरन सादे कागज पर लिखवाया गया कि हम आगे की कार्रवाई नहीं चाहते हैं। पुलिस की कार्रवाई से संतुष्ट हैं।
पुलिस बोली- अगर बेटे को पाना चाहती हैं तो लिखना पड़ेगा जब बेटी ने ऐसा लिखने से मना किया तो बोलने लगे कि अगर बेटे को वापस चाहते हैं तो लिखकर देना पड़ेगा। मजबूरी में हम लोगों ने लिख दिया। इसके बाद से पुलिस ने तलाश बंद कर दी।
हमें इस चीज की जानकारी नहीं थी कि लिखवाने के बाद खोजना बंद कर देंगे। कुछ दिन बाद बेटी ने पूछा कि काम होगा कि नहीं तो पुलिस ने बोला कि खोजबीन जारी है। अगर जारी होती तो कभी से किसी की पहचान करने के लिए बुलाते। बोले- हमनें टीवी और पेपर में चलवा दिया है। लेकिन हमें आज तक कहीं नहीं दिखा।
न्याय पाने के लिए काट रही सीएम ऑफिस के चक्कर।
जनता दरबार में सीएम से नहीं मिल पाई मीना अपने बेटे की तलाश के लिए सीएम के जनता दरबार गई थी। उन्हें लगा कि सीएम को पत्र देने से शायद केस को फिर खोला जाए। लेकिन सीएम से न मिल पाने की वजह से शिकायती पत्र देकर वापस आ गई। अब कार्रवाई का इंतजार है।