बलिदानी सचिन लौर
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राजौरी में 22 नवंबर को आतंकियों के साथ हुई मुठभेड़ में अपना सर्वोच्च बलिदान देने वाले पैरा ट्रूपर सचिन लौर का पार्थिव शरीर पंचतत्व में बेशक विलीन हो गया, पर उनसे जुड़े पलों को याद कर उनके पिता, भाई, बहन, होने वाले ससुरालियों की आंखे नम हो रही हैं।
शादी से पहले लड़की से जताता था प्यार
जिस लड़की से शादी होने वाली थी उसकी मां सोन देवी शहीद की मां से विलाप करते हुए कह रही थी कि बेटी को इतना प्यार दिया कि याद रहेगा। कॉल पर उसे डॉल बोलता था। ड्यूटी पर तैनात रहने के दौरान जब वीडियो कॉल करता तो अपने साथियों से बोलता था कि फ्री में मुंह दिखाई नहीं करने दूंगा..। बता दें कि मथुरा मांट के गांव जेसमा से 8 दिसंबर को सचिन की शादी होने वाली थी। शादी से पहले ही वह अपनी होने वाली पत्नी से प्यारा जताता था, जिसका जिक्र विलाप करते समय सोन देवी कर रही थीं।
शादी तो नहीं हुई ससुराल वाले अंतिम संस्कार में पहुंचे
आने वाली आठ दिसंबर को सचिन की शादी मथुरा के मांट क्षेत्र के गांव जेसे जाबरा में होनी थी। इसलिए उसकी छुट्टी 20 नवंबर को छुट्टी मंजूर हो गई थी, लेकिन कैप्टन शुभम गुप्ता निवासी आगरा के सचिन से मधुर संबंध होने से शुभम ने सचिन को अपने साथ चलने के लिए रोक लिया था। आगामी 1 दिसंबर को सचिन अपने गांव नगरिया गौरौला छुट्टी लेकर पहुंचने वाला था। सचिन की ससुराल के लोग भी अंतिम संस्कार में शामिल हुए। सचिन जांबाज होने के साथ साथ भक्ति व पूजा में विश्वास रखते थे। माता पिता व ग्रागीणों के साथ ब्रज चौरासी कोष की तीन बार परिक्रमा कर चुके थे। साथ ही छूट्टी पर जब भी गांव आते थे तो पगड़ी बांधने का शौक रखते थे। छुट्टी के दौरान सचिन घर व खेती के कार्य में जूट रहते थे।
कमर में टायर बांध कर दौड़ते थे 12 किमी
छुट्टी के दौरान गांव आने पर सचिन हर रोज सुबह के समय रस्से के सहारे कमर से टायर बांधकर 12 किलोमीटर दौड़ लगाते थे। सचिन ने कस्बे के बाबूजी कान्वेंट से बारहवीं तक की शिक्षा पूर्ण की। एक हजार बच्चों में से सचिन सहित 19 बच्चों का चयन भारतीय सेना की विशेष यूनिट पैरा ट्रूपर में हुआ था। उसके बाद छंटनी होने के बाद 11 बच्चों को जम्मू कश्मीर के लिए चयनित किया गया था।