गोरखपुर की राप्ती नदी गंगा डॉल्फिन के लिए नया ठिकाना बन चुकी है। शांत वातावरण और साफ पानी के कारण डॉल्फिन की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। हालिया सर्वे में 15 से ज्यादा डॉल्फिन देखी गई हैं, जो यहां के अनुकूल माहौल की पुष्टि करती हैं।
.
रामघाट और नौवा अव्वल के पास मिला बसेरा राप्ती नदी के रामघाट और नौवा अव्वल गांव के पास डॉल्फिन का मुख्य ठिकाना है। 2022 में पहली बार चिड़ियाघर और वन विभाग की टीम ने यहां डॉल्फिन देखी थी, जिसके बाद इन्हें आधिकारिक रिकॉर्ड में दर्ज किया गया। तब से संरक्षण प्रयासों के चलते इनकी संख्या में बढ़ोतरी हुई है।
राप्ती का पानी डॉल्फिन के लिए अनुकूल चिड़ियाघर के मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. योगेश प्रताप सिंह ने बताया कि राप्ती नदी, गंगा की सहायक नदियों में से एक है और इसका पानी डॉल्फिन के प्रजनन के लिए बेहद अनुकूल है। बहाव के साथ यहां पहुंची डॉल्फिन को शांत और सुरक्षित माहौल मिला, जिसकी वजह से उन्होंने यहीं डेरा जमा लिया।
पानी साफ होने से डॉल्फिन को मिला ठिकाना वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर धीरज कुमार सिंह के अनुसार, पिछले कुछ वर्षों में राप्ती नदी का पानी साफ हुआ है, जो डॉल्फिन के रहने के लिए आदर्श स्थिति है। डॉल्फिन आमतौर पर सूर्योदय के समय पानी की सतह पर नजर आती हैं, जब उन्हें आसानी से देखा जा सकता है।
संरक्षण के प्रयासों से सुधर रहा पर्यावरण डॉल्फिन की बढ़ती संख्या यह दर्शाती है कि राप्ती नदी का पारिस्थितिकी तंत्र सुधार की ओर है। यह न सिर्फ पर्यावरण के लिए शुभ संकेत है, बल्कि गोरखपुर और आसपास के इलाकों में पर्यटन को भी बढ़ावा दे सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह स्थिति बनी रही तो आने वाले वर्षों में डॉल्फिन की संख्या और बढ़ेगी।