वक्फ एक्ट में संशोधन के लिए केंद्र सरकार की ओर से लाये जा रहे विधेयक पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने सख्त नाराजगी जताई है। बोर्ड ने साफ किया कि वक्फ एक्ट 2013 में कोई भी ऐसा बदलाव, जिससे वक्फ संपत्तियों की हैसियत और प्रकृति बदल जाए या उन्हें हड़पना सरकार या किसी व्यक्ति के लिए आसान हो जाए, हरगिज कुबूल नहीं होगा। इसी तरह वक्फ बोर्डों के अधिकारों को कम या सीमित करने को भी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
बोर्ड के प्रवक्ता डॉ. सैयद कासिम रसूल इलियास ने कहा कि वक्फ संपत्तियां मुसलमानों के बुजुर्गों द्वारा दिए गए वे उपहार हैं जिन्हें धार्मिक और चैरिटी के कामों के लिए वक्फ किया गया है। सरकार ने सिर्फ उन्हें नियंत्रित करने के लिए वक्फ एक्ट बनाया है।
उन्होंने कहा कि वक्फ एक्ट और वक्फ संपत्तियों को भारतीय संविधान और शरीयत एप्लीकेशन एक्ट 1937 भी सुरक्षा प्रदान करता है, इसलिए भारत सरकार इस कानून में कोई ऐसा संशोधन नहीं कर सकती, जिससे इन संपत्तियों की प्रकृति और हैसियत ही बदल जाए। उन्होंने कहा कि अब तक सरकार ने मुसलमानों से संबंधित जितने भी फैसले किए और कदम उठाए हैं, उनमें उनसे कुछ न कुछ छीनने का ही काम हुआ है, दिया कुछ नहीं है।
वक्फ संपत्तियों पर चोट करने के बाद आशंका है कि अगला नंबर सिखों और ईसाइयों की वक्फ संपत्तियों का और फिर हिंदुओं के मठों और अन्य धार्मिक संपत्तियों का भी आ सकता है। डॉ. इलियास ने एनडीए की सहयोगी पार्टियों और अन्य विपक्षी राजनीतिक पार्टियों से अपील करते हुए कहा कि वे ऐसे किसी भी प्रस्ताव और संशोधन को पूरी तरह खारिज कर दें और इसे हरगिज संसद से पारित न होने दें।