अपना दल के संस्थापक स्व. डॉ. सोनेलाल पटेल की कर्मभूमि रही फूलपुर और पड़ोसी कौशाम्बी लोकसभा सीट से अपना दल कमेरावादी के प्रत्याशी उतारने की घोषणा से समाजवादी पार्टी के नेताओं को बड़ा झटका लग सकता है। इससे इंडिया गठबंधन के मतों का बिखराव होगा और सीधा फायदा भाजपा को ही मिलना है। वैसे, इन दोनों सीटों पर फिलहाल भाजपा ही काबिज है।
बसपा से अलग होकर 1995 में अपना दल गठित करके डॉ. सोने लाल पटेल ने फूलपुर को ही कर्मस्थली बनाया था। यहीं से वह 1996 से 2009 तक पांच बार लोकसभा चुनाव लड़े, पर जीत नहीं पाए। पहली बार सिर्फ 2426 वोट ही पा सके थे। धीरे-धीरे पकड़ मजबूत हुई और 1998 के चुनाव में उन्हें 42152, फिर 1999 में 127780 मत हासिल हुए।
वहीं, 2004 में 80388 तो 2009 में 76699 मत प्राप्त हुए थे। वर्ष 2009 में कानपुर में एक सड़क हादसे में निधन के बाद पार्टी की कमान पत्नी कृष्णा पटेल के हाथों में आ गई। बड़ी बेटी पल्लवी पटेल और छोटी अनुप्रिया पटेल भी साथ थीं। 2014 में भाजपा से गठबंधन के बाद अनुप्रिया न सिर्फ मिर्जापुर से सांसद चुनी गईं, बल्कि केंद्र में मंत्री पद से भी नवाजी गईं।
फिर, सियासी महत्वाकांक्षाओं की रस्साकशी शुरू हुई और दोनों बेटियों की राहें जुदा हो गईं। मां के साथ बड़ी बहन पल्लवी पटेल हैं। उनके अपना दल कमेरावादी ने 2019 में कांग्रेस से गठबंधन किया। पल्लवी के पति पंकज पटेल निरंजन फूलपुर से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े। उन्हें सिर्फ 3.35 प्रतिशत वोट नसीब हुए। बताते हैं कि इस बार कृष्णा पटेल खुद चुनाव लड़ना चाहती हैं।