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यूपी उपचुनाव: मझवां की कमान अजय राय को सौंपने से सियासी हलचल बढ़ी, कांग्रेस ने पांच सीटों पर दावा किया है।

 

कांग्रेस ने उपचुनाव वाले सभी 10 विधानसभा क्षेत्र में प्रभारी और पर्यवेक्षक उतार कर सियासी हलचल बढ़ा दी है। मिर्जापुर की मझवां विधानसभा सीट की कमान प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने खुद संभाली है तो करहल में तौकीर आजम को जिम्मेदारी देने के पीछे भी सियासी निहितार्थ बताए जा रहे हैं। हालांकि कांग्रेस के प्रदेश स्तरीय नेता गठबंधन का फैसला शीर्ष नेतृत्व पर छोड़ने की दुहाई देते हैं, लेकिन चुनावी रण में उतरने की बेताबी साफ दिख रही है।

10 विधानसभा क्षेत्रों में होने वाले उपचुनाव में कांग्रेस पांच सीटों (मझवां, गाजियाबाद, फूलपुर, खैर और मीरापुर) पर दावा कर रही है, लेकिन सपा की ओर से अभी कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया गया है। ऐसे में बुधवार देर शाम कांग्रेस ने सभी 10 सीटों पर प्रभारी और पर्यवेक्षक उतार दिए। मझवां सीट की कमान खुद कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय के संभालने के बाद से सियासी हलचल बढ़ गई है।

यह भी कयास लगाए जा रहे हैं कि प्रभारी के तौर पर मझवां में सियासी जमीन तैयार कर अजय राय खुद अथवा उनके परिवार का कोई सदस्य इस सीट से मैदान में उतर सकता है। क्योंकि मझवां विधानसभा सीट पर कांग्रेस और बसपा का दबदबा रहा है। यहां से आठ बार कांग्रेस, पांच बार बसपा और दो बार भाजपा को जीत मिली है, जबकि अन्य दल एक-एक बार चुनाव जीते हैं। यहां करीब 90 हजार ब्राह्मण और 25 हजार भूमिहार हैं। दलित-बिंद करीब 60-60 हजार हैं। यही वजह है कि यहां पर्यवेक्षक के तौर पर बसपा से कांग्रेस में आए पूर्वमंत्री सदल प्रसाद को उतारा गया है।

 

 

इसी तरह फूलपुर का प्रभारी जहां राजेश तिवारी को बनाया गया है तो सांसद उज्जवल रमण सिंह को पर्यवेक्षक की जिम्मेदारी सौंपी गई है। करहल का प्रभारी तौकीर आलम को बनाया गया है तो मिल्कीपुर में पीएल पुनिया को लगाकर दलित वोटबैंक को जोड़ने की रणनीति बनाई गई है। अंबेडकरनगर के कटेहरी में सर्वाधिक कुर्मीवोट को देखते हुए सत्यनारायण पटेल को लगाया गया है। कुंदरकी में धीरज गुर्जर, मीरपुर में विधायक वीरेंद्र चौधरी और गाजियाबाद में कांग्रेस विधान मंडल दल की नेता आराधना मिश्रा मोना को जिम्मेदारी दी गई है। हालांकि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय चुनाव लड़ने और गठबंधन के सवाल पर कन्नी काटते हैं। कहते हैं कि सभी सीटों पर वोटबैंक बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है। गठबंधन और प्रत्याशी पर फैसला शीर्ष नेतृत्व को लेना है।

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