दुकानों को तोड़ता बुलडोजर।
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ से बृहस्पतिवार को शहर के अकबरनगर निवासियों को बड़ी राहत मिली। कोर्ट ने अकबर नगर एक व दो में एलडीए की ध्वस्तीकरण कारवाई पर रोक लगा दी। कोर्ट ने एलडीए को आदेश दिया कि वहां के लोगों को पुनर्वास योजना में आवेदन करने को समय दे। विस्थापित होने वालों के पुनर्वास की करवाई पूरी होने के बाद ही उनके खाली होने वाले परिसरों का कब्जा लिया जाए। इसके लिए 4 सप्ताह का समय देकर कोर्ट ने तबतक वहां ढहाने की करवाई पर रोक लगा दी। कोर्ट ने मामले में एलडीए व अन्य पक्षकारों को जवाब दाखिल करने का समय देकर अगली सुनवाई 22 जनवरी की नियत की है। कोर्ट ने टिप्पणी की कि निवासियों के जीवन की स्वतंत्रता और जीविका के अधिकार का उल्लंघन न किया जाय।
न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की एकल पीठ ने यह आदेश अकबरनगर के करीब 50 लोगों की दाखिल 26 याचिकाओं पर दिया। इनमें मंडलायुक्त लखनऊ द्वारा याचियों की अपीलों को खारिज करने के आदेशों को चुनौती दी गई थी। साथ ही विस्थापित होने वाले निवासियों के पुनर्वास तक उन्हें बेदखल न करने और उनके परिसरों को ढहाने की जारी कारवाई पर रोक लगाने का आग्रह किया गया।
याचियों के वरिष्ठ अधिवक्ता जयदीप नारायण माथुर का कहना था कि अकबर नगर में लोग 40 – 50 साल से रह रहे हैं। वहां सड़कें बनी हैं, बिजली पानी की व्यवस्था की गई है। निवासी भवन कर भी अदा कर रहे हैं। ऐसे में उनके पुनर्वास के बगैर जल्दबाजी में उनके परिसरों का ध्वस्तीकरण किया जाना कानून की मंशा के खिलाफ है। इससे वहां के लोगों के जीवन और जीविका के अधिकार प्रभावित होते हैं। उधर, राज्य सरकार और एलडीए के वकीलों ने कहा कि अकबर नगर, नदी की तलछट वाली जमीन पर अवैध रूप से बसा है। जहां के लोगों का जमीन पर कोई मालिकाना हक नहीं है। ऐसे में वहां से लोगों को हटाकर परिसरों का ध्वस्तीकरण किया जा सकता है। काफी देर तक सुनवाई के बाद कोर्ट ने अकबर नगर एक व दो में जारी ध्वस्तीकरण की करवाई पर फिलहाल रोक लगा दी।