वाराणसी में देव दिपावली पर इस वर्ष पर्यटन-विभाग द्वारा 3 लाख गाय के गोबर का दीप जलाया जायेगा जिसको तैयार कराया जा रहा हैं। यह दीप काशी के प्रमुख गंगा घाट पर जलाया जायेगा। इसके आलावा समाजिक संस्थाओं द्वारा भी 2 लाख दीप तैयार कराया जा रहा है। 15 नम्वबर
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मशीन की मदद से तैयार हो रहा दीप
काशी के देव दीपावली के लिए तैयार हो रहा दीप।
स्वयं सहायता समूह की मदद से हो रहा है तैयार
पर्यटन विभाग के उपनिदेशक आर के रावत ने बताया कि स्वयं सहायता समूह के महिलाओं की मदद से इस बार गोबर के दीपकों को तैयार कराया जा रहा है। 3 लाख दीयों के ऑर्डर अलग अलग स्वयं सहायता समूह के महिलाओं को दिए गए हैं। इससे उन्हें रोजगार का साधन भी मिला है। इस बार देव दीवाली से ज्यादा से ज्यादा लोगों को जोड़ा जाएगा। इसके लिए यह प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि देव दिवाली भी पहले से ज्यादा इको फ्रेंडली होगी। क्योंकि यह गोबर के दीए जलने के साथ राख में बदल जाते हैं जिससे प्रदूषण ना के बराबर होता है।
पर्यटन एवं सामाजिक संगठन द्वारा तैयार कराया जा रहा हैं।
मशीन की मदद से हो रहा है तैयार
रमना के रहने वाले राकेश ने बताया कि विदेशी नस्ल की गायों की गोबर की तुलना में देशी का गोबर टाइट होने की वजह से इसे शेप देना आसान होता है। उन्होंने बताया कि एक हाथ के मशीन की मदद से हम इस दीप को तैयार कर रहे हैं। जिससे दीपक पर एक बढ़िया आकृति भी बन जाती है और कम समय भी लगता है। उन्होंने बताया कि करीब 400 से अधिक परिवार मिलकर इस काम को कर रहे हैं इसे रोजगार भी काफी ज्यादा बढ़ा हुआ है।
घाट के दोनों तरफ जलेंगे दीप।
ग्रीन आतिशबाजी का भी दिखेगा नजारा
डिप्टी डायरेक्टर पर्यटन आरके रावत ने बताया- लेज़र शो के माध्यम से घाट पर गंगा अवतरण व शिव महिमा की कहानी दिखाई जाएगी। गंगा पार रेत पर प्रदूषण रहित ग्रीन आतिशबाजी का भी शो किया जाएगा, जो पर्यावरण संरक्षण का सन्देश भी देगा। देव दीपावली पर काशी की इस अनोखे छटा को देखने के लिए देश विदेश से पर्यटक आते हैं।