इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गुजारा भत्ता दावे में ढाई लाख रुपये में एक मुश्त समझौते के बाद फिर से दावा करने की धारा 128 दंड प्रक्रिया संहिता की कार्यवाही पर रोक लगा दी। कोर्ट ने विपक्षी पत्नी अनीता देवी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। याचिका की अगली सुनवाई
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यह आदेश न्यायमूर्ति विपिन चंद्र दीक्षित ने संदीप कुमार की धारा 482 के तहत दाखिल याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है।
याचिका में याची का कहना है कि उसकी पत्नी ने धारा 125 दंड प्रक्रिया संहिता के तहत गुजारा भत्ता के लिए पति के खिलाफ अर्जी दी। जिसे स्वीकार करते हुए मजिस्ट्रेट ने 1200 रूपये महीने गुजारा भत्ता निर्धारित किया। इसके बाद पत्नी ने धारा 128 मे अर्जी देकर एकमुश्त सधान की मांग की। मजिस्ट्रेट के समक्ष ढाई लाख एक मुश्त रकम देने और पत्नी द्वारा कोई दावा न करने का समझौता हुआ था। मजिस्ट्रेट ने अनुमोदित कर दिया था।
पैसे लेने के बाद पत्नी ने दुबारा धारा 128 मे ढाई लाख समायोजित कर बकाया गुजारा भत्ता दिलाने की अर्जी दी। जिस पर याची को सम्मन किया गया। जिसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। कहा गया कि जब समझौता हो चुका है तो दुबारा गुजारा भत्ता की मांग विधि विरूद्ध व अनुचित है। कोर्ट ने मुद्दा विचारणीय माना और बदलापुर, जौनपुर में चल रही केस कार्यवाही पर रोक लगा दी।