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आपके ऋण पर ईएमआई में वृद्धि नहीं हुई है, जो आरबीआई रेपो दर के कारण औसत व्यक्ति के लिए एक बड़ी राहत है।

 

फोटो: एएनआई

नयी दिल्ली। वित्तीय क्षेत्र से आ रही बड़ी खबर के अनुसार, आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने आज भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति बैठक में रेपो दर को 6.5% पर अपरिवर्तित रखा है। हां, फिलहाल यह रेपो रेट 6.50 फीसदी ही रहेगा। ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि बैंकों से कर्ज महंगा नहीं होगा.

बैठक में आज आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि अमेरिका में बैंकों की विफलता के कारण वित्तीय संकट एक मुद्दा बन गया है। साथ ही हमने अर्थव्यवस्था में जारी रिवाइवल को बनाए रखने के लिए नीतिगत दर में कोई बदलाव नहीं किया है, लेकिन जरूरत पड़ी तो स्थिति के अनुसार कदम उठाएंगे। हालांकि, हमारी बैंकिंग और गैर-बैंकिंग वित्तीय व्यवस्था मजबूत बनी हुई है।

पिछले वित्त वर्ष में रेपो रेट 6 गुना बढ़ा

गौरतलब है कि पिछले वित्तीय वर्ष 2022-23 की पहली बैठक अप्रैल-2022 में हुई थी। तब आरबीआई ने रेपो रेट को 4% पर स्थिर रखा था, लेकिन फिर आरबीआई ने 2 और 3 मई को आपात बैठक बुलाई और रेपो रेट को 0.40% बढ़ाकर 4.40% कर दिया।

दरअसल, 22 मई 2020 के बाद रेपो रेट में यह बदलाव हुआ है। इसके बाद 6 से 8 जून को हुई बैठक में रेपो रेट में 0.50 फीसदी की बढ़ोतरी की गई थी. इससे रेपो रेट 4.40% से बढ़कर 4.90% हो गया। फिर अगस्त में इसमें 0.50% की और बढ़ोतरी की गई, जिससे यह 5.40% पर पहुंच गया।

जहां पिछले साल सितंबर में ब्याज दरें 5.90% थीं, वहीं दिसंबर में ब्याज दरें 6.25% पर पहुंच गईं। इसके बाद वित्त वर्ष 2022-23 की आखिरी मौद्रिक नीति बैठक फरवरी में हुई थी, जिसमें ब्याज दरों को 6.25% से बढ़ाकर 6.50% कर दिया गया था।

‘रेपो-रेट’ क्या है

बता दें कि रेपो रेट वह दर होती है जिस पर आरबीआई सभी बैंकों को कर्ज देता है। इस लोन से बैंक बाद में अपने ग्राहकों को लोन देते हैं। अब अगर रेपो रेट घटाया जाता है तो बैंक से कई तरह के कर्ज सस्ते हो जाएंगे.

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