प्रयागराज में संन्यास लेने वाली साध्वी गौरी को जूना अखाड़े की ओर से अस्वीकार किए जाने के बाद परिवार अभी तक आगरा के डौकी स्थित अपने घर नहीं पहुंचा है। एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट (एएचटीयू) लगातार तलाश कर रही है। बच्ची के मिलने के बाद एएचटीयू की टीम उ
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यह है पूरा मामला बमरौली कटारा के गांव टरकपुर की 13 वर्षीय किशोरी को उसके माता-पिता ने प्रयागराज महाकुंभ में 6 जनवरी को जूना अखाड़ा के महंत कौशल गिरि को दान कर दिया था। उसे गंगा स्नान कराने के बाद नामकरण किया गया। 19 जनवरी को उसका पिंडदान कराकर विधिवत संन्यास देने की तैयारी थी।
लेकिन इससे पहले ही जूना अखाड़े की बैठक में लिए गए निर्णय के अनुसार किशोरी को उसके माता-पिता को सौंप दिया। साथ ही कौशल गिरि को 7 साल के लिए अखाड़े से बाहर कर दिया गया था।
चाइल्ड एक्टिविस्ट ने भी की थी शिकायत इस मामले में महफूज संस्था के कॉर्डिनेटर नरेश पारस ने चाइल्ड वेलफेयर कमेटी सहित कई जगह शिकायत की थी। इसके बाद बाल कल्याण समिति की मोनिका सिंह ने एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग थाने (एएचटीयू) से जांच कराने के बाद कार्रवाई के लिए निर्देश दिए थे। उसके बाद एएचटीयू की टीम बच्ची के घर गई। वहां ताला मिला था।
भास्कर ने की थी बच्ची से बात दैनिक भास्कर ने बच्ची से फोन पर बात की थी। बच्ची का कहना था कि मेरे गुरु पर गलत आरोप लगाए गए। मैं अपनी इच्छा से संन्यास लेने गई थी। मेरे गुरु को उनका सम्मान वापस मिलना चाहिए…। अगर ऐसा नहीं हुआ तो दुख के साथ कहती हूं, मैं परिवार के साथ गलत कदम उठा लूंगी। उसका कहना था कि मैं किसी भी परीक्षा से गुजरने को तैयार हूं।
प्रोफेशनल काउंसलर्स से कराई जाएगी काउंसलिंग एएचटीयू टीम का कहना है कि बच्ची के मिलने के बाद उसकी प्रोफेशनल काउंसलर्स से काउंसलिंग कराई जाएगी। सादा कपड़ों में सवाल पूछे जाएंगे। उस पर बिना दबाव के इच्छा जानी जाएगी। इस दौरान सीडब्ल्यूसी की टीम के सदस्य भी रहेंगे। बच्ची से पूछा जाएगा कि उस पर साध्वी बनने के लिए दबाव तो नहीं है।
यह पूछे जाएंगे सवाल
- साध्वी बनने के लिए किसी ने दबाव तो नहीं डाला था?
- क्या अपनी मर्जी से साध्वी बनना चाहती है?
- शिक्षा की इच्छा है या नहीं?
- गलत कदम उठाने के पीछे क्या मंशा है?
- गुरू के संपर्क में कैसे आई?
- कुंभ में जाने से पहले ही साध्वी बनने का विचार आया था या वहां पहुंचकर आया?
तीन महीने से नहीं दिया किराया सूत्रों ने बताया है कि बच्ची के पिता का स्थायी काम नहीं है। अलग-अलग जगह जाकर काम करता है। तीन महीने से डौकी वाले घर का किराया भी नहीं दिया है। मकान मालिक कई बार फोन कर चुका है। लेकिन अब नंबर बंद आ रहा है। मकान मालिक ने पुलिस को बताया कि बच्ची के साध्वी बनने की खबर के बाद भी बात हुई थी। तब भी किराए को लेकर कहा था। अब फोन बंद आ रहा है। संपर्क नहीं हो पा रहा है।