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लोकसभा चुनाव: विपक्षी गठबंधन के नेताओं द्वारा खुलकर इमोशनल कार्ड खेले जा रहे हैं, और राहुल-अखिलेश इस मुद्दे को उठा रहे हैं।

 

यूपी में एक-तिहाई सीटों का चुनाव बीतने के बाद विपक्षी गठबंधन इंडिया के नेता खुलकर इमोशनल कार्ड पर उतर आए हैं। साझा रैलियों में अखिलेश ने नेताजी (मुलायम सिंह यादव) के बयान तो राहुल गांधी ने संविधान पर फोकस किया। आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह भी वर्ण-व्यवस्था के प्रतिगामी प्रतीकों के जरिये भाजपा पर निशाना साधने से नहीं चूके।

विपक्षी गठबंधन आरक्षण का लाभ लेने वालों के मन में यह बैठाने की पूरी कोशिश कर रहा है कि भाजपा तीसरी बार सत्ता में आई तो संविधान खतरे में पड़ जाएगा। संविधान खतरे में पड़ा तो आरक्षण भी हाथ से निकल जाएगा। कन्नौज और कानपुर की साझा रैलियों में राहुल गांधी ने हुंकार भरी कि हम किसी को संविधान की किताब नष्ट करने के लिए हाथ नहीं लगाने देंगे।

अब यह बात दीगर है कि जिस भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर वे संविधान नष्ट कर देने का आरोप मढ़ रहे हैं, न सिर्फ वे, बल्कि उनके वैचारिक पोषक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत तक कह चुके हैं कि संघ आरक्षण का समर्थक है। राहुल खुद को नौकरी, जमीन और संविधान पर अधिक केंद्रित कर रहे हैं। अतीत में कांग्रेस की ओर से हुई गलतियों को भी स्वीकार किया।

राजनेताओं को जहां इमोशनल कार्ड चलने का मौका मिल रहा है, उसका पूरा इस्तेमाल कर रहे हैं। अखिलेश यादव ने पहला लोकसभा चुनाव कन्नौज से लड़ा था और उस वक्त मुलायम सिंह यादव के वहां आने का जिक्र करते हुए कहा कि उस चुनाव में नेताजी ने मुझे (अखिलेश को) नेता बनाने की अपील की थी। कुल मिलाकर यह इमोशनल कार्ड खेलकर कन्नौज की जनता के साथ नेताजी के ”रिश्तों” को भावनात्मक गर्माहट देने का काम भी किया।

 

 

संजय सिंह ने समाजवादी सरकार जाने के बाद मुख्यमंत्री आवास को गंगाजल से धुलवाए जाने का मामला एक बार फिर जनता के बीच उठाया और इसके जरिये दलितों-पिछड़ों के खिलाफ वर्ण व्यवस्था के प्रतीकों पर हमला बोला।

अखिलेश यादव ने भी कहा कि यूपी के हाईवे समाजवादियों ने बनवाए, लेकिन कभी इन हाईवे को धुलवाया नहीं। यहां बता दें कि कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी भी जगह-जगह अपने पिता राजीव गांधी की शहादत का जिक्र सभाओं में करके भाजपा पर निशाना साध रही हैं।

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