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आजमगढ़ के कलाकारों को मिलेगा मंच: 20 जनवरी तक मंडल के कलाकारों का चयन हमारी संस्कृति, हमारी पहचान के लिए किया जाएगा – आजमगढ़ न्यूज़

 

आजमगढ़ में 20 जनवरी तक मंडल स्तर पर कलाकारों का होगा चयन।

आजमगढ़ मंडल में हमारी संस्कृति हमारी पहचान कार्यक्रम के लिए 20 जनवरी तक कलाकारों का चयन किया जाएगा। जिले के पर्यटन अधिकारी नवनीत सिंह चहल ने बताया कि संस्कृति उत्सव 2024- 25 मनाए जाने के संबंध में शासन से निर्देश प्राप्त हुए हैं।

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इसके लिए शास्त्री और लोक संगीत की पृष्ठभूमि में ऐसे कलाकारों की पहचान कर उनकी योग्यता अनुसार मंच प्रदान कर उन्हें प्रोत्साहित और समृद्ध किया जाएगा। उत्तर प्रदेश पर्व-हमारी संस्कृतिः हमारी पहचान के अन्तर्गत संस्कृति उत्सव 2024-25 का आयोजन करने हेतु जनपद स्तरीय आयोजन समिति का गठन किया गया है। जिसमें जिलाधिकारी अध्यक्ष, मुख्य विकास अधिकारी उपाध्यक्ष, जिला पंचायत राज अधिकारी, जिला विद्यालय निरीक्षक, सहायक निदेशक सूचना सदस्य एवं जिला पर्यटन सूचना अधिकारी सदस्य-सचिव हैं।

20 जनवरी तक मंडलों में किया जाएगा चयन

पर्यटन अधिकारी ने बताया कि उत्तर प्रदेश पर्व- हमारी संस्कृति हमारी पहचान के अन्तर्गत संस्कृति उत्सव 2024-25 का आयोजन के क्रम में दिनांक 2-5 जनवरी 2025 तक गांव, पंचायत, ब्लाक एवं तहसील स्तर के कलाकारों की प्रतियोगिता तहसील मुख्यालय पर, 7-8 जनवरी 2025 तक तहसील स्तर के चयनित कलाकारों की प्रतियोगिता जनपद मुख्यालय पर आयोजित की जाएगी।

10-12 जनवरी तक जनपद स्तर के चयनित कलाकारों की प्रतियोगिता मण्डलीय मुख्यालय पर, 18-20 जनवरी 2025 तक मण्डल स्तर के चयनित कलाकारों की प्रतियोगिता प्रदेश की राजधानी मुख्यालय लखनऊ में, 23 जनवरी को लखनऊ से सम्पन्न प्रतियोगिता के विजयी प्रतिभागियों का उत्तर प्रदेश पर्व में प्रतिभाग हेतु पूर्वाभ्यास तथा दिनांक 24-26 जनवरी 2025 तक उत्तर प्रदेश पर्व के अवसर पर अंतिम रूप से चयनित सभी प्रतिभागियों की प्रस्तुतियां, सम्मान व पुरस्कार का वितरण किया जायेगा।

इन कलाओं के बारे में हो रही चर्चा

उत्तर प्रदेश के सभी ग्रामीण एवं शहरी इलाकों में प्रचलित सांस्कृतिक विधा, शास्त्रीय गायन, ख्याल, ध्रुपद, उपशास्त्रीय गायन, ठुमरी, दादरा, चैती, चैता, झूला, होरी, टप्पा, लोक गायन, कजरी, बिरहा, आल्हा, निर्गुण, लोकगीत, कव्वाली आदि, सुगम संगीत, गीत गजल भजन, देशभक्ति गीत वाद्य बांसुरी, शहनाई, हारमोनियम तन्तु वाद्य सितार, वायलिन, गिटार सारंगी, वीणा वादन आदि ताल वाद्य तबला, पखावन, दक्षिणी भारतीय मृदंगम, घटम आदि, जनजाति वाद्य यंत्र/लोक वाद्य, डफला, नगाड़ा, दुक्कड़, मादल, ढ़ोल-ताशा, ढ़ोलक, नाल, चिमटा, हुड़का, सिंघा आदि, नृत्य के अन्तर्गत कथक, भरतनाट्यम, ओडिसी, मोहिनीअट्टम तथा अन्य शास्त्रीय नृत्य, लोकनृत्य, धोबिया, अहिरवा, करमा, शैला, डोमकच, आखेट नृत्य तथा अन्य जातीय नृत्य, लोकनाट्य, नौटंकी, रामलीला, रासलीला, स्वांग, भगत, बहुरूपिया, नुक्कड़ नाटक आदि सांस्कृति विधाओं में दक्ष कलाकारों को खोजकर प्रस्तुतीकरण कराया जायेगा।

जिलाधिकारी ने बताया कि संबंधित अधिकारी के माध्यम से संस्कृति विभाग द्वारा सुगम रजिस्ट्रेशन हेतु तैयार किये गये पोर्टल पर नियमानुसार रजिस्ट्रेशन एवं डाटा फिडिंग का कार्य सम्पन्न कराया जायेगा।

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