सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (17 नवंबर, 2025) को उत्तराखंड के बागेश्वर जिले में सोपस्टोन खनन पर उच्च न्यायालय की ओर से लगाई गई अंतरिम रोक को गलत ठहराते हुए 29 वैध खनन पट्टाधारकों को तुरंत खनन शुरू करने की अनुमति दे दी है. कोर्ट ने कहा कि हाई कोर्ट कानूनी रूप से संचालन कर रहे पट्टाधारकों पर ब्लैंकेट बैन नहीं लगा सकता है.
उत्तराखंड का यह मामला SLP (C) 23540/2025 के तहत सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा था, जिसमें 17 फरवरी, 2025 को उत्तराखंड हाई कोर्ट की ओर से जारी उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें जिले में सोपस्टोन खनन गतिविधियों पर रोक जारी रखी गई थी.
वैध पट्टाधारकों पर प्रतिबंध लगाना उचित नहीं- सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस आलोक अराधे की बेंच ने कहा, ‘राज्य सरकार पहले ही बता चुकी है कि सिर्फ 9 पट्टों में ही अनियमितताएं मिली थीं, जबकि 29 पट्टाधारक पूरी तरह कानूनी रूप से खनन कर रहे थे. ऐसे में सभी पर एक समान रोक लगाना उचित नहीं है.’ अदालत ने यह भी माना कि खनन पर पूर्ण रोक लगाने से राज्य की अर्थव्यवस्था और स्थानीय लोगों की आजीविका पर गंभीर असर पड़ता है.
सुप्रीम कोर्ट ने इन 29 पट्टाधारकों को अपने माइनिंग प्लान और पर्यावरण मंजूरी के अनुसार मशीनरी के उपयोग की भी अनुमति दी है. इन पट्टों का विवरण याचिका के वॉल्यूम-2 के पेज 352-355 में दर्ज है.
अगले साल मार्च में सुप्रीम कोर्ट मामले पर करेगा सुनवाई
कोर्ट ने 16 सितंबर, 2025 के अपने पुराने आदेश का उल्लेख करते हुए याद दिलाया कि वह पहले ही पट्टाधारकों को पहले से निकाले और जमा किए गए सोपस्टोन को बेचने की अनुमति दे चुकी है, बशर्ते वे पूरा रिकॉर्ड दें और तय रॉयल्टी और दंड का भुगतान करें. सुप्रीम कोर्ट ने उच्च न्यायालय को मुख्य पीआईएल को जल्द निपटाने के निर्देश भी दोहराए. अब यह मामला फिर 23 मार्च, 2026 को सुप्रीम कोर्ट में सुना जाएगा. यह फैसला उत्तराखंड के खनन क्षेत्र के लिए बड़ा राहत भरा कदम माना जा रहा है.
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