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कोतवाली में गोलीकांड: आरोपी को पिस्टल देने वाले मुंशी की मंज़ूर हुई जमानत, दरोगा बंद जेल में

 

अलीगढ़ महानगर के ऊपरकोट कोतवाली परिसर में हुए गोलीकांड में महिला की मौत के मामले में जेल भेजे गए थाने के मुंशी/सिपाही की सशर्त जमानत मंजूर हो गई है। 8 दिसंबर को कोतवाली परिसर में हुई घटना में सिपाही पर हत्या में साजिश का आरोपी होने के साथ दरोगा को लापरवाही से पिस्टल सौंपने का आरोप है।

तुर्कमान गेट चौकी क्षेत्र के हड्डी गोदाम इलाके की 55 वर्षीय इशरत निगार अपने बेटे ईशान संग कोतवाली गई थीं। तभी वहां भुजपुरा चौकी के प्रभारी दरोगा मनोज शर्मा को मुंशी ने मालखाने से उनकी सर्विस पिस्टल निकालकर दी। दरोगा ने वहीं खड़े होकर पिस्टल चेक करते हुए फायर कर दिया। कनपटी के पास गोली लगने से महिला जख्मी हो गई। 13 दिसंबर की देर शाम उसे मृत घोषित किया गया।

महिला के बेटे की ओर से दरोगा मनोज शर्मा पर नामजद मुकदमा दर्ज कराया गया था। मगर विवेचना में पुलिस ने मुंशी/सिपाही सुदीप कुमार निवासी टकीपुरा चौबिया इटावा का नाम भी बढ़ाया। उसे लापरवाही से पिस्टल देने का आरोपी मानते हुए हत्या की साजिश का आरोपी माना गया था। विवेचना में खोला गया कि मुंशी ने यह कहते हुए दरोगा को लोड पिस्टल दी कि महिला आ रही है। अपना काम कर दो। 13 दिसंबर को ही पुलिस ने मुंशी सुदीप को जेल भेजा।

मामले में बचाव पक्ष की ओर से जमानत अर्जी दायर की गई। सत्र न्यायालय में जमानत सुनवाई पर दलील दी गई कि इस हत्या की साजिश का कोई तुक नहीं है, न कोई रंजिश है। न्यायालय ने इस आधार पर सुदीप की सशर्त जमानत मंजूर की है। बचाव पक्ष के अधिवक्ता नीरज चौहान के अनुसार सत्र न्यायालय ने सुदीप को जमानत देते हुए आदेश में उल्लेख किया है कि वह इस अपराध जैसा कोई अपराध नहीं करेगा या उस पर अपराध दर्ज नहीं होगा। इस मुकदमे में साक्ष्य प्रभावित नहीं करेगा और विवेचना में सहयोग करेगा। न्यायालय में समय समय पर हाजिर होगा। किसी गवाही के समय स्थगन आवेदन नहीं करेगा। अन्यथा जमानत निरस्त की जा सकेगी।

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