अम्बेडकरनगर में टांडा तहसील में मामलो के निपटारे में घूस देने से परेशान अधिवक्ताओं ने तहसीलदार को पत्र लिखकर घूस की धनराशि निश्चित करने की मांग की है। अधिवक्ताओं ने पूछा कि किस मामले में कितनी धनराशि घूस में देना है और इसका रेट फिक्स करने की मांग की।
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प्रदेश सरकार भ्रष्टाचार मुक्त होने का दावा करती है। जिला प्रशासन इस दावे की डुग्गी बजाता है, लेकिन टांडा तहसील के अधिवक्ताओं ने इन सब की पोल खोल कर रख दी है। घूस की मांग से आजिज आकर अधिवक्ताओं ने तहसीलदार को पत्र लिखकर घूस की राशि निश्चित करने की मांग कर डाली। घूस की राशि निश्चित करने के लिए अधिवक्ताओं ने तहसील परिसर में नारेबाजी भी किया।
प्रत्येक मामले का प्रमाणित घूस प्रकाशित कर दिया जाए टांडा तहसीलदार को लिखे पत्र में अधिवक्ताओं ने लिखा है कि वादकारियों के कार्यों में प्रमाणित घूस दर न होने से आप को अपेक्षित धन उपलब्ध कराने समस्या हो रही है। जो धन दिया जाता वह आप की अपेक्षा से कम होता है, जिससे आदेश नहीं हो पाता। पूर्व में प्रचलित घूस की धनराशि बढ़ गई है। प्रत्येक मामले का प्रमाणित घूस प्रकाशित कर दिया जाए, जिससे कार्य सम्पादन आसान हो सके।
टांडा तहसील में बिना रुपया लिए एक फाइल भी इधर से उधर नहीं होती एडवोकेट अजय को कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि प्रदेश सरकार मुकदमें को जल्दी निपटने की बात करती है, लेकिन टांडा तहसील में बिना रुपया लिए एक फाइल भी इधर से उधर नहीं होती है। रुपया न मिलने पर फाइलों को लटकाया जाता है, यहां भ्रष्टाचार चरम पर है। कोई भी हस्ताक्षर बिना पैसे लिए नहीं किया जाता है।
चाहे वह हस्ताक्षर मामूली हैसियत प्रमाण पत्र की हो, यहां पत्रावलियों में मालियत के हिसाब से घूस मांगा जाता है, जिससे हम अधिवक्ता लोग परेशान है। इसलिए हम लोग चाहते हैं कि घूस का रेट फिक्स किया जाए, जिससे हम अपने क्लाइंट से मांग सके कि इतना घूस देना है। उन्होंने कहाकि तहसील कोर्ट पर घूस का मामला बहुत ज्यादा है, यहां न्याय की कुर्सी पर बैठकर न्याय को बेचा जा रहा है।