ज्योतिष्पीठाधीश्वर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि अपनी पहचान बनाए रखने के लिए तिलक, चोटी, कंठी, जनेऊ और धोती जैसे धर्मचिह्न धारण करना आवश्यक है। इसी तरह अपनी दिनचर्या में सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करना, संध्या पूजन करना और दिन में समय स
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परमधर्मसंसद में हिंदू पहचान, दिनचर्या, संस्कार विषय को संबोधित कर रहे थे। परमधमदिश जारी करते हुए शंकराचार्य ने कहा कि हिंदुओं को अपने कम से कम 16 संस्कारों में से यथासंभव को अपनाना उचित होगा। पहली पहचान हमारी वेशभूषा व अलंकारों से होती है। कोई हमें देखे तो उसे पक्का हो जाए कि हम हिंदू हैं। बाद में हमें अपनेआचरण और व्यवहार को भी वैसा ही रखना चाहिए। विचारों के स्तर पर हमारी पहचान वसुधैव कुटुंबकम, सर्वे भवंतु सुखिनः, अहिंसा परमो धर्मः है जिसे हमें बनाए रखना है।
शंकराचार्य ने 16 संस्कार के बारे में दी जारी।
आचरण ही हमारी पहचान
शंकराचार्य ने कहा कि व्यक्ति, वस्तु या विचारों की विशिष्टता ही हमारी पहचान है। एक व्यक्ति के रूप में हमारा नाम, हमारा रूप, हमारी रुचियां, हमारे आचरण ही हमारी पहचान हैं। इसके विपरीत पहचान का संकट हमें वैयक्तिक, सामाजिक और सांस्कृतिक-धार्मिक दबाव या संघर्ष में डाल सकता है।
शंकाराचार्य ने हिन्दूओं की पहचान बताई।
हिन्दू धर्म के लिए लोगों को करेंगे जागरूक
इस दौरान प्रवीण भाई तोगड़िया ने कहा – हमने मुगल राज्य से भारत को मुक्त किया। उन्होंने कहा हम 100 करोड़ हिंदुओं के 20 करोड़ परिवार होते हैं। उनके घरों में जा जाकर हम जाने की व्यवस्था कर सकते हैं। हिंदू पहचान के लिए जागरुकता जरूरी है। उन्होंने कहा हमारे परिवार का हर व्यक्ति हिंदू धर्म विजय का अंतिम दुर्ग है। उन्होंने कहा कि हाल गली मोहल्ले में मंगलवार और शनिवार हनुमान चालीसा होना चाहिए।