लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) द्वारा एक मकान के ध्वस्तीकरण मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने बड़ी राहत दी है। अदालत ने एलडीए के ध्वस्तीकरण आदेश पर अंतरिम रोक लगाते हुए प्राधिकरण से विस्तृत जवाब मांगा है।
न्यायमूर्ति संगीता चंद्रा और न्यायमूर्ति अमिताभ कुमार राय की खंडपीठ ने दीपा मिश्रा की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया। अदालत ने कहा कि मामला गंभीर है और इसमें सभी पक्षों को सुनना आवश्यक है। अगली सुनवाई 12 नवंबर को निर्धारित की गई है।
मामले के अनुसार, एलडीए ने वर्ष 2005 में गोमती नगर एक्सटेंशन के सेक्टर-4 में प्लॉट नंबर 4/542 को प्रमोद कुमार वर्मा के नाम 60 साल की लीज पर आवंटित किया था। इसके बाद, 2009 में एलडीए ने इस भूखंड का फ्रीहोल्ड विक्रय विलेख जारी किया। हालांकि, 2014 में लेआउट प्लान में संशोधन कर इस भूखंड को योजना से बाहर कर दिया गया, जिसकी जानकारी न तो वर्मा को दी गई और न ही उन्हें सुनवाई का अवसर मिला।
इसके बावजूद, एलडीए ने 2016 में वर्मा द्वारा जमा कराए गए भवन मानचित्र को स्वीकृति दे दी, जिसके बाद उन्होंने बैंक से ऋण लेकर मकान का निर्माण कराया। बाद में बैंक ने संपत्ति को सरफेसी एक्ट के तहत नीलाम किया, जिसमें याचिकाकर्ता दीपा मिश्रा ने लगभग 95 लाख रुपये में मकान खरीदा।
दीपा मिश्रा को जून 2025 में संपत्ति का कब्जा मिला, लेकिन उसी दिन एलडीए ने घर को ध्वस्त कर दिया। इस कार्रवाई को चुनौती देते हुए उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर की, जिस पर अदालत ने एलडीए की कार्यवाही पर रोक लगाते हुए जवाब मांगा है।
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