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200 साल पुराने कॉलेज में प्रिंसिपल पद को लेकर विवाद: आगरा कॉलेज के पूर्व प्राचार्य पर फर्जी दस्तावेजों के जरिए नौकरी हासिल करने का आरोप, 550 पृष्ठों में दी स्पष्टीकरण।

 

लंबे समय से आगरा कॉलेज में प्रिंसिपल पद को लेकर विवाद चल रहा है

आगरा कॉलेज का इतिहास 200 साल पुराना है। इस कॉलेज के पूर्व छात्रों में तेज बहादुर सप्रू, चौधरी चरण सिंह, गुलजारी लाल नंदा, गोपाल स्वरूप पाठक, न्यायमूर्ति एसके धर आदि शामिल हैं। इस कॉलेज में लंबे समय से प्रिंसिपल पद को लेकर खींचातान चल रही है। प्रो. अन

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यह है पूरा मामला प्रो. अनुराग शुक्ला ने अक्टूबर 2021 में स्थायी प्रिंसिपल के रूप में आगरा कॉलेज में अपना पद ग्रहण किया था। इसके बाद से ही विवाद शुरू हो गए। शिक्षकों ने वित्तीय अनियमितताओं के आरोप प्रिंसिपल पर लगाकर एक महीने से ज्यादा समय कर 2023 में धरना प्रदर्शन किया। अधिकारियों के बीच में आने के बाद धरना खत्म हुआ। उसके बाद भी विवाद लगातार बना रहा। इसी बीच आगरा कॉलेज बोर्ड ऑफ ट्रस्ट के सदस्य सुभाष ढल ने आगरा काॅलेज के प्राचार्य डॉ. अनुराग शुक्ला के खिलाफ धोखाधड़ी व अन्य आरोपों में मुकदमा दर्ज कराने के लिए अदालत में प्रार्थनापत्र दिया था। सुनवाई के बाद सीजेएम अचल प्रताप सिंह ने मुकदमा दर्ज कर थानाध्यक्ष लोहामंडी को विवेचना के आदेश दिए। प्रो. शुक्ला पर सितंबर 2023 में मुकदमा भी दर्ज हुआ। शासन के आदेश पर प्रो. अनुराग शुक्ला को 12 फरवरी को निलंबित कर दिया गया था। उनकी जगह डा. सीके गौतम को कार्यवाहक प्राचार्य बनाया गया था। उन्होंने प्राचार्य प्रो. अनुराग शुक्ला की नियुक्ति के लिए लगाए गए दस्तावेज और भ्रष्टाचार के आरोप की जांच कराकर शासन को रिपोर्ट भेज दी। इस रिपोर्ट के आधार पर आयोग ने प्राचार्य का पक्ष न आने पर आरोप सही मानते हुए रिपोर्ट दे दी। प्रो. शुक्ला ने हाईकोर्ट की शरण ली। हाईकोर्ट से स्टे मिलने पर प्रो. अनुराग शुक्ला एक मई 2024 को दोबारा प्रिंसिपल बन गए।

उच्च शिक्षा मंत्री से बताया जान को खतरा प्रो. अनुराग शुक्ल ने उच्च शिक्षामंत्री योगेंद्र उपाध्याय के साथ उनके सहयोगियों व कॉलेज के प्रभारी प्राचार्य डॉ. सीके गौतम से खुद और अपने परिवार की जान-माल का गंभीर खतरा जताया है। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को मंगलवार को पत्र लिखकर सशस्त्र सुरक्षाबल उपलब्ध कराए जाने की मांग की थी। आरोप लगाया कि डॉ. सीके गौतम की ओर से खुलेआम कहा जा रहा है कि किसी का भी आदेश हो जाए, वह दोबारा प्रो. अनुराग शुक्ल को आगरा कॉलेज का प्राचार्य नहीं बनने देंगे।

प्रो. अनुराग शुक्ला ने 550 पेज में स्पष्टीकरण दिया है

अब दिया है स्पष्टीकरण 11 नवंबर को उत्तर प्रदेश शिक्षा आयोग की पांच सदस्यीय कमेटी के सामने प्राचार्य प्रो. अनुराग शुक्ला ने 550 पेज का स्पष्टीकरण दे दिया। प्रो. शुक्ला का कहना है कि सनराइज कालेज अलवर के शोधार्थी में गाइड के दस्तावेज को फर्जी बताया गया, जबकि दस्तावेज ठीक हैं। इसके सुबूत दिए जा चुके हैं। अन्य आरोपों पर भी स्पष्टीकरण दे दिया गया है। जो आरोप लगाए हैं उनके आधार पर छह मुकदमे दर्ज हैं। कोर्ट में भी मामला चल रहा है। आयोग का निर्णय पक्ष में न आने पर चुनौती दी जाएगी, कोर्ट की मदद ली जाएगी।

फिर से लगे हैं आरोप प्राचार्य पद पर प्रो. अनुराग शुक्ला के ऊपर गंभीर आरोप लगे हैं। सीजेएम कोर्ट से मुकदमा दर्ज करने के आदेश के बाद से ही प्राचार्य छुट्टी पर चल रहे हैं। डॉ. आरके श्रीवास्तव कार्यवाहक प्राचार्य के रूप में काम देख रहे हैं। शिक्षकों के एक गुट को इस पर भी आपत्ति है। कहा जा रहा है कि डॉ. शुक्ला वरिष्ठता क्रम की अवहेलना करके डॉ. श्रीवास्तव को कार्यभार सौंप गए हैं।

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