काशी हिंदू विश्वविद्यालय में स्थित पूर्व आरएसएस संघ भवन से जुड़े वाद में सिविल जज (जूनियर डिवीजन) शमाली मित्तल की अदालत ने विश्वविद्यालय के कुलपति के विरुद्ध एक्स-पार्टी (एकतरफा) कार्रवाई शुरू करने का आदेश दिया है। अदालत की अगली सुनवाई 14 दिसंबर 2025 निर्धारित की गई है।
वादी प्रमील पाण्डेय की ओर से बताया गया कि प्रतिवादी संख्या-2 के रूप में शामिल बीएचयू कुलपति न तो अदालत में उपस्थित हुए और न ही अब तक कोई उत्तर या हलफ़नामा प्रस्तुत किया। वादी पक्ष ने इसे गंभीर विषय में प्रशासन की लापरवाही बताया। पूर्व में अदालत ने कुलपति को अंतिम अवसर देकर उत्तर दाखिल करने का निर्देश दिया था, पर समय सीमा बीतने के बाद भी जवाब न मिलने पर अदालत ने वादी के पक्ष में एक्स-पार्टी आदेश पारित किया।
🔹 मामला क्या है?
वाद के अनुसार वर्ष 1931 में बीएचयू परिसर में पहली बार आरएसएस शाखा शुरू हुई थी। इसके बाद महामना मदन मोहन मालवीय की पहल पर 1937–38 में तत्कालीन प्रति कुलपति राजा ज्वाला प्रसाद की देखरेख में दो कमरों का संघ भवन बना, जिसे बाद में ‘संघ स्टेडियम’ के रूप में जाना गया। बताया जाता है कि यह भवन आज के विधि संकाय क्षेत्र में स्थित था।
वादी का दावा है कि आपातकाल के दौरान 22 फरवरी 1976 को उस वक्त के कुलपति कालूलाल श्रीमाली के कार्यकाल में भवन को रातोंरात ढहा दिया गया। पाण्डेय ने अदालत से भवन को पुनः संचालित करने तथा इस प्रक्रिया में किसी भी बाधा को रोकने की मांग रखी है।
पिछली सुनवाईयों में भी दावा किया गया था कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने अब तक कोई लिखित प्रतिक्रिया नहीं दी है। एक्स-पार्टी आदेश के बाद अब यह मामला निर्णायक मोड़ पर पहुंच गया है और आगे की स्थिति अगली सुनवाई में स्पष्ट होने की संभावना है।
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