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उत्तर प्रदेश में SIR प्रक्रिया पर सियासी घमासान, सपा बोली – ‘PDA वोट बैंक को कमजोर करने की साजिश’

उत्तर प्रदेश में SIR (सर्वेक्षण) प्रक्रिया की शुरुआत के साथ ही राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। सरकार इस पहल को जनहित में बता रही है, जबकि विपक्ष ने इसे मतदाता आधार को प्रभावित करने की रणनीति करार दिया है।

समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता और पूर्व विधायक अनूप संडा ने भाजपा सरकार पर आरोप लगाया कि SIR प्रक्रिया का उद्देश्य ‘पीडीए समाज’ के वोटों को कमजोर करना है। उन्होंने कहा कि जिन लोगों के पास स्थायी घर या पुराने दस्तावेज नहीं हैं, उनके लिए 40-50 साल पुराने कागजात पेश करना मुश्किल होगा। ऐसे में कई गरीब और हाशिए पर रहने वाले लोगों के नाम मतदाता सूची से हट सकते हैं।

संडा ने प्रशासन से आग्रह किया कि इस प्रक्रिया को संवेदनशीलता से लागू किया जाए, ताकि किसी भी पात्र व्यक्ति को मतदान अधिकार से वंचित न होना पड़े। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर अधिकारियों ने लापरवाही दिखाई तो यह गरीब तबके के लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन होगा।

सपा प्रवक्ता ने चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर भी सवाल उठाए। उनका कहना था कि आयोग भाजपा के हित में काम करता नजर आ रहा है और बार-बार हलफनामा मांगने की प्रक्रिया मतदाताओं के लिए जटिल बनाई जा रही है।

उन्होंने बताया कि समाजवादी पार्टी ने अपने मतदाताओं को सूची में बनाए रखने के लिए बूथ स्तर तक तैयारी शुरू कर दी है। पार्टी बीएलए (बूथ लेवल एजेंट) नियुक्त कर रही है ताकि किसी भी मतदाता का नाम तकनीकी कारणों से हटाया न जा सके।

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