भारत-नेपाल सीमा पर स्थित सोनौली और नौतनवा क्षेत्रों से कपड़े की तस्करी बड़े पैमाने पर की जा रही है। श्यामकाट, भगवानपुर, फरेंदी तिवारी, सुंडी और बैरिगहवा जैसे गांव इस तस्करी के प्रमुख रूट बन गए हैं। रेडीमेड सूट, साड़ी और थान को बाइक और टैंपो के जरिए नेपाल के भैरहवा व बुटवल कस्बों तक पहुंचाया जा रहा है।
सूत्रों की मानें तो एक-एक बाइक सवार दिन में पांच बार माल लादकर नेपाल पहुंचा रहा है। हर चक्कर में एक लाख से ज्यादा कीमत का कपड़ा लादा जाता है। इस हिसाब से एक बाइक सवार प्रतिदिन 5 लाख तक का कपड़ा सीमा पार कर रहा है। सुबह से देर रात तक यह सिलसिला जारी रहता है।
जीएसटी और वैट मिलाकर 15% टैक्स से बचने की चाल
भारत में 5% जीएसटी और नेपाल में करीब 10% वैट के चलते कुल 15% टैक्स से बचने के लिए व्यापारी तस्करी का सहारा ले रहे हैं। इससे दोनों देशों के राजस्व को भारी नुकसान हो रहा है। ग्रामीणों का दावा है कि एक दिन में करीब 1.5 करोड़ रुपये का कपड़ा नेपाल भेजा जा रहा है, जिससे प्रतिदिन 15 से 20 लाख रुपये का राजस्व घाटा हो रहा है।
हर नाके पर तीन से पांच बाइक सवार सक्रिय
कपड़े की तस्करी में प्रत्येक मार्ग पर कम से कम तीन से पांच बाइक सवार लगे हुए हैं। नौतनवा मार्ग पर एक टैंपू भी तस्करी में प्रयुक्त हो रही है, जो बड़ी खेप को ढोने में इस्तेमाल की जा रही है। तस्करी के इस खुले खेल को रोकने में पुलिस, सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) और कस्टम विभाग पूरी तरह विफल नजर आ रहे हैं। न तो कोई बड़ा पकड़ा गया, न ही तस्करी के रूट बंद हुए हैं। अब सवाल उठता है कि क्या यह मिलीभगत से हो रहा है।
स्थानीय ग्रामीण ने बताया कि हर चक्कर में लाखों का नुकसान सरकारी खजाने को, लेकिन जिम्मेदार मौन हैं।