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बलरामपुर अस्पताल में ऑर्गन डोनेशन अवेयरनेस कॉन्फ्रेंस आयोजित, एक्सपर्ट्स ने चेताया – किडनी ट्रांसप्लांट में देरी से हो सकती है गंभीर समस्याएं, रेगुलर चेकअप की दी सलाह – Lucknow News

 

बलरामपुर अस्पताल में हुए कॉन्फ्रेंस में डॉक्टरों ने ऑर्गन डोनेशन को लेकर किया जागरूक।

यूपी में करीब 40 हजार गुर्दा मरीज डायलिसिस पर हैं। इनमें 40 से 50 प्रतिशत मरीज गुर्दा प्रत्यारोपण के इंतजार में हैं। समय पर गुर्दा प्रत्यारोपण न होने से मरीजों की दिक्कतें बढ़ रही है। मरीजों को नई जिंदगी देने के लिए कैडवरिक गुर्दा प्रत्यारोपण के प्रत

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वे सोमवार को बलरामपुर अस्पताल के 156वें स्थापना दिवस समारोह को संबोधित कर रहे थे। अस्पताल प्रेक्षागृह में धूमधाम से समारोह मना।

कार्यक्रम के दौरान प्रमुख सचिव और अस्पताल के निदेशक डॉ.सुशील चौधरी

हर साल बढ़ रहे 5 हजार मरीज

KGMU नेफ्रोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ.विश्वजीत सिंह ने कहा कि गुर्दे की बीमारी तेजी से बढ़ रही है। यूपी में हर साल पांच हजार से नए गुर्दा मरीज डायलिसिस पर जा रहे हैं। गुर्दा प्रत्यारोपण चुनिंदा सरकारी संस्थानों में हो रहा है। लगभग 350 से 400 मरीजों का गुर्दा प्रत्यारोपण सरकारी संस्थानों में हो पा रहा है। उन्होंने बताया कि गुर्दे की बीमारी के लक्षण तब नजर आते हैं जब वह गंभीर हो जाती है। गुर्दे फेल होने से मरीज की डायलिसिस की जरूरत पड़ती है।

किडनी ट्रांसप्लांट में न करे देरी

डॉ.विश्वजीत सिंह ने कहा कि डायलिसिस मरीज की जितनी जल्दी हो सके गुर्दा प्रत्यारोपण करा लेना चाहिए। क्योंकि बीमारी के दौरान मरीज डायबिटीज व ब्लड प्रेशर जैसी समस्याओं की चपेट में भी आ जाता है। समय पर गुर्दा प्रत्यारोपण की सफलता दर बढ़ जाती है। उन्होंने बताया कि प्रत्यारोपण के बाद मरीज को संक्रमण से बचाना सबसे बड़ी चुनौती होती है। क्योंकि प्रत्यारोपण के बाद दवाओं से मरीज में रोग प्रतिरोधक क्षमता बिलकुल घट जाती है। लिहाजा मरीज की सेहत की निगरानी लगातार करनी चाहिए।

गुणवत्तापरक इलाज मिल सके

स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव पार्थ सारथी शर्मा ने कहा कि सरकारी अस्पतालों के प्रति मरीजों का भरोसा बढ़ रहा है। मरीजों को गुणवत्तापरक इलाज मिल रहा है। आधुनिक इलाज की सुविधा भी जुटाई जा रही है। इलाज की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए शोध व सेमिनार को बढ़ावा देने की जरूरत है। ताकि ज्ञान का आदान-प्रदान किया जा सके। इसका सीधा फायदा मरीजों को होगा। उन्हें बेहतर व आधुनिक इलाज मिल सकेगा।

टीबी उन्मूलन पर 100 दिवसीय अभियान

KGMU रेस्पीरेटरी मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डॉ.सूर्यकांत ने कहा कि टीबी को खत्म करने के लिए सभी की सहभागिता की जरूरत है। लगातार खांसी, बुखार व बेवजह वजन गिरने पर संजीदा हो जाएं। जांच कराएं। ताकि टीबी का खात्मा किया जा सके। टीबी का पूरा इलाज है। इस मौके पर उत्तर प्रदेश और केंद्र सरकार 100 दिवसीय विशेष अभियान के तहत टीबी उन्मूलन की रणनीतियों पर प्रकाश डाला।

ये विशेषज्ञ मौजूद रहे

कार्यक्रम में स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ.रतन पाल सिंह, परिवार कल्याण महानिदेशक डॉ. सुषमा सिंह, महानिदेशक प्रशिक्षण डॉ. पवन कुमार अरुण, बलरामपुर अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. हिमांशु चतुर्वेदी, निदेशक डॉ. सुशील प्रकाश, अस्पताल के वरिष्ठ त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉ. एमएच उस्मानी, KGMU सर्जरी विभाग के पूर्व प्रोफेसर डॉ. अरशद अहमद, हिमैटोलॉजी विभाग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. एके त्रिपाठी, SGPGI कॉर्डियोलॉजी विभाग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. नुकुल सिन्हा, डॉ. सुहाग वर्मा ने अपने विचार रखे।

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