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दर्दनाक: मुझे अंधेरा होने तक घर पहुंचना था। आठ मौतों की सुबह की रिपोर्ट के अनुसार, आठ मौतों में से चार एक ही गांव से थीं।

 

बनारस में हुए हादसे में मरने वालों की फाइल फोटो

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अस्थि विसर्जन कर लौट रहे आठ लोगों को शाम तक पीलीभीत के रुद्रपुर गांव पहुंचना था लेकिन सुबह सात बजे पूरनपुर कोतवाली से फोन पर हादसे में उनकी जान जाने की खबर पहुंच गई। एक झटके में दो परिवार उजड़ गए। घर में चीख-पुकार मच गई। आस-पड़ोस के लोग पहुंचे तो उन्हें घटना की खबर मिली।

हादसे में जान गंवाने वालों में दो सगे भाई और उनकी पत्नियों के अलावा रिश्तेदार और कार चालक था। रुद्रपुर के महेंद्र पाल सिंह की मां मेढना देवी का पिछले साल अप्रैल में निधन हो गया था जबकि गांव रूद्रपुर के ही विपिन के पिता सत्यपान का निधन करीब डेढ़ दशक पहले हो गया था।

 

महेंद्र ने अपनी मां और विपिन ने अपने पिता की अस्थि को विसर्जन करने की योजना बनाई। रविवार को महेंद्र पाल अपनी पत्नी चंद्रकली, भाई दामोदर प्रसाद, उसकी पत्नी निर्मला देवी और पांच वर्षीय पुत्र शांती स्वरूप के साथ कार से निकले थे। उनके साथ विपिन कुमार उनकी मां गंगादेवी भी गईं थीं।

 

 

कार में विपिन का रिश्तेदार गांव धरमंगदपुर निवासी राजेंद्र यादव भी था। कार गांव पिपरिया दुलई निवासी अमन कश्यप (22) की थी जो स्वयं उसे चला रहा था। अस्थि विसर्जन करने के बाद सभी ने बुधवार शाम तक घर पहुंचने की बात अपने परिजनों को फोन पर बताई थी।

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