सुलतानपुर की बाल कल्याण न्याय पीठ से जुड़ी सदस्य मजिस्ट्रेट सरिता यादव को देहरादून में आयोजित एक विशेष समारोह में ‘चाणक्य सम्मान’ से सम्मानित किया गया। यह सम्मान उन्हें मलिन बस्तियों में रहने वाले बच्चों के लिए वर्षों से निशुल्क पाठशाला संचालित करने के लिए प्रदान किया गया।
यह सम्मान विशेष रूप से उन लोगों को दिया जाता है जो प्रतिकूल परिस्थितियों में रहने वाले बच्चों तक शिक्षा की रोशनी पहुँचाने का कार्य कर रहे हैं।
शिक्षा को बढ़ावा देने वाले 20 व्यक्तियों को मिला सम्मान
देहरादून के एक प्रतिष्ठित कार्यक्रम में शिक्षा के क्षेत्र में योगदान देने वाले कुल 20 लोगों को सम्मानित किया गया। इस दौरान सरिता यादव को सम्मान पत्र, प्रतिमा और पारंपरिक अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया गया। अतिथियों ने मंच से कहा कि समाज में परिवर्तन की शुरुआत शिक्षा से होती है, और जो लोग इस दिशा में कार्य कर रहे हैं, वे वास्तव में राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
“यह सम्मान सिर्फ मेरा नहीं, उन बच्चों का है”
सम्मान मिलने के बाद सरिता यादव ने कहा कि यह उपलब्धि सिर्फ उनकी व्यक्तिगत नहीं है, बल्कि उन बच्चों की है जो कठिन परिस्थितियों के बावजूद सीखने की इच्छा रखते हैं। उन्होंने बताया कि उनकी पाठशाला को संचालन में समय-समय पर कई समाजसेवियों और संस्थाओं का सहयोग प्राप्त होता रहा है।
समाजसेवियों में खुशी
सरिता यादव को सम्मानित किए जाने की खबर सुनकर स्थानीय सामाजिक संगठनों और बाल कल्याण से जुड़े कार्यकर्ताओं ने खुशी व्यक्त की। उनका कहना है कि ऐसे सम्मान उन सभी लोगों को प्रेरणा देते हैं जो समाज की भलाई के लिए नि:स्वार्थ भाव से काम कर रहे हैं।