मथुरा जिलाधिकारी चंद्र प्रकाश सिंह ने पराली जलाने की घटनाओं पर सख्त रुख अपनाया है। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में सतर्कता बढ़ाएं और पराली जलाने के मामलों पर तुरंत रोक लगाएं।
जिलाधिकारी ने सचिवों, ग्राम प्रधानों और लेखपालों को किसानों से संवाद स्थापित करने के आदेश दिए हैं, ताकि उन्हें पराली जलाने की बजाय वैकल्पिक उपाय अपनाने के लिए प्रेरित किया जा सके।
उन्होंने किसानों से अपील की है कि वे पराली को गौशालाओं में भेजें, जहां इसका उपयोग पशु चारे के रूप में किया जा सकता है। इसके अलावा, पराली को सीबीजी (कम्प्रेस्ड बायोगैस) प्लांट तक पहुंचाने के भी निर्देश दिए गए हैं, ताकि इसका पर्यावरण-अनुकूल निपटारा हो सके।
डीएम ने कहा कि पराली जलाने से पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है और भूमि की उर्वरता घटती है। उच्चतम न्यायालय और एनजीटी के निर्देशों के अनुसार, पराली जलाना दंडनीय अपराध है, जिसके लिए पर्यावरण क्षतिपूर्ति और कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।
उन्होंने किसानों को सुझाव दिया कि फसल अवशेषों को खेत में मिलाने से मिट्टी की गुणवत्ता और उत्पादकता दोनों में सुधार होता है। डीएम ने अधिकारियों को गांव-गांव जाकर बैठकें आयोजित करने और किसानों को जागरूक करने के निर्देश दिए। साथ ही चेतावनी दी कि पराली जलाने की किसी भी घटना को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
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