संतकबीर नगर के मेंहदावल विकासखंड में बड़ी संख्या में ऐसे हैंडपंप लगाए गए हैं, जिनके साथ लगे पत्थरों पर उर्दू में लिखावट पाई गई है। इन हैंडपंपों की स्थापना को लेकर रहस्य गहराता जा रहा है, क्योंकि न तो विकास विभाग और न ही जल निगम सहित कोई भी सरकारी संस्था इनके बारे में जानकारी होने का दावा कर रही है। स्थानीय लोग भी यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि आखिर इन्हें लगवाया किसने और किस उद्देश्य से।
मामले के सामने आते ही कई जांच एजेंसियां सक्रिय हो गई हैं और इन हैंडपंपों से जुड़ा डेटा खंगालने में जुटी हैं। सोशल मीडिया पर आधार कार्ड के दुरुपयोग की आशंका भी जताई जा रही है, जिसमें कहा गया है कि हैंडपंप लगवाने के नाम पर लोगों से आधार कार्ड लिए जा रहे थे और इनके गलत इस्तेमाल की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।
क्या है पूरा मामला?
पिछले दो वर्षों में मेंहदावल क्षेत्र के दर्जनों गांवों में ये हैंडपंप लगाए गए हैं। बताया जा रहा है कि इनकी देखरेख स्थानीय विकासखंड के ही एक युवक द्वारा की जा रही है।
चर्चा यह भी है कि यह युवक करीब एक साल पहले नेपाल से कुछ लोगों को लाकर मेंहदावल में फास्ट फूड की दुकान भी चलाता था और उसका नेपाल आना-जाना लगातार बना रहता था। हालांकि अब उसकी वह दुकान बंद हो चुकी है।
गांवों में लोगों के बीच इस बात की चर्चा तेजी से फैल रही है कि ये हैंडपंप गरीब परिवारों के घरों में लगाए जा रहे हैं, लेकिन हैरानी की बात यह है कि किसी ने इसके लिए कोई आवेदन नहीं किया। यह भी स्पष्ट नहीं है कि चयन का आधार क्या था और इनकी स्थापना किस उद्देश्य से की जा रही है, जिससे संदेह और बढ़ गया है।
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