सूरत की प्रवर्तन निदेशालय टीम ने एक बड़े साइबर फ्रॉड नेटवर्क पर कार्रवाई करते हुए पांच आरोपियों के खिलाफ अहमदाबाद स्थित विशेष PMLA कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की है। जांच में पता चला कि इस गिरोह ने देशभर में लोगों को ऑनलाइन ठगी का शिकार बनाकर करीब 104.15 करोड़ रुपये की मनी लॉन्ड्रिंग की।
पीड़ितों को फंसाने के लिए कई नए तरीके अपनाए गए
यह मामला सूरत पुलिस की स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप की रिपोर्ट पर आधारित है। जांच से स्पष्ट हुआ कि मुख्य आरोपी मकबुल डॉक्टर, उसका बेटा और बाकी साथी मिलकर लोगों को धोखा देने के लिए कई तरह की रणनीतियाँ अपनाते थे।
फर्जी फॉरेक्स और स्टॉक मार्केट टिप्स देना, ‘डिजिटल अरेस्ट’ का नाटक करना, और ED, TRAI, CBI व सुप्रीम कोर्ट जैसी एजेंसियों के नाम पर नकली नोटिस भेजकर लोगों को डराना इनके मुख्य हथकंडे थे।
गिरोह ने एक नकली पुलिस स्टेशन तक तैयार कर रखा था। वहीं से यूनिफॉर्म में ठग वीडियो कॉल पर पीड़ितों को धमकाते और उनसे पैसे वसूलते थे। ठगी पूरी होने के बाद पीड़ितों को नकली चालान और नोटिस भेज दिए जाते थे ताकि मामला वास्तविक लगे।
फर्जी सिम और KYC दस्तावेजों का उपयोग
ठगे गए पैसे पहले उन बैंक खातों में भेजे जाते थे, जिन्हें दूसरों के KYC दस्तावेजों का उपयोग कर खोला गया था। इसके बाद रकम को कई खातों में घुमाकर छिपाया जाता था और फर्जी सिम कार्ड से पूरे नेटवर्क को संचालित किया जाता था। बड़ी राशि नकद में निकाली जाती थी, जिसे हवाला चैनलों से बाहर भेजकर क्रिप्टोकरेंसी में बदल दिया जाता था। अंत में यह रकम विदेशी वॉलेट्स में ट्रांसफर की जाती थी।
जांच में यह भी सामने आया कि मकबुल डॉक्टर का बेटा बास्सम डॉक्टर फिलहाल अरब देशों में छुपा हुआ है और अवैध कमाई का अंतिम लाभार्थी बताया जा रहा है।
ED द्वारा खंगाले गए बैंक रिकॉर्ड के अनुसार, आरोपियों ने ठगी के पैसों से ऑनलाइन शॉपिंग और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स पर करोड़ों रुपये खर्च किए। अक्टूबर 2025 में एजेंसी चार आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी है और 2.13 करोड़ रुपये मूल्य की तीन संपत्तियाँ भी सील की जा चुकी हैं।
एजेंसी का कहना है कि यह नेटवर्क और बड़ा हो सकता है, इसलिए जांच अभी जारी है।
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