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“कर्नाटक की सत्ता खींचतान के बीच डी.के. शिवकुमार ने स्पष्ट किया—‘जल्दबाज़ी मेरी तरफ से नहीं’, और उसी दिन उनका मुंबई जाना सुर्खियों में रहा।”

कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार की अचानक मुंबई यात्रा ने राज्य की राजनीति में हलचल तेज कर दी है. मुख्यमंत्री बदलने की चर्चा के बीच यह दौरा कई तरह की अटकलों को जन्म दे रहा है. हालांकि शिवकुमार ने साफ कहा कि उनका दौरा पूरी तरह निजी है और इसमें किसी भी राजनीतिक बैठक की योजना नहीं थी.

‘मीटिंग करनी होती तो दिल्ली या बेंगलुरु में होती’ – शिवकुमार
मुंबई में पत्रकारों से बात करते हुए शिवकुमार ने कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी से मिलने की खबरों को खारिज कर दिया. उन्होंने कहा ‘मैं यहां सिर्फ फैमिली फंक्शन में आया हूं. कोई मीटिंग नहीं हुई. मीटिंग करनी होती तो मुंबई क्यों आता? वह बेंगलुरु या दिल्ली में होती.’ जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्होंने मुख्यमंत्री पद के मुद्दे पर नेतृत्व से बात की, तो शिवकुमार ने जवाब दिया-‘नहीं… मुझे किसी भी चीज की जल्दी नहीं है.’

शिवकुमार और सिद्धरमैया के बीच वाकयुद्ध
इससे पहले कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार के बीच मुख्यमंत्री पद को लेकर चल रही खींचतान गुरुवार को वाकयुद्ध में बदल गई, जब दोनों एक वचन निभाने को लेकर आमने-सामने आ गए. सत्ता संघर्ष के बीच शिवकुमार ने कहा, ‘वचन की ताकत ही विश्व-ताकत है.’ इस पर सिद्धरमैया ने चुटकी लेते हुए जवाब दिया, ‘वचन तभी ताकत बनता है, जब वह लोगों की जिंदगी बेहतर करे.’सिद्धरमैया जोर दे रहे हैं कि वह पूरे पांच साल का कार्यकाल पूरा करेंगे. वहीं शिवकुमार चाहते हैं कि सरकार का आधा कार्यकाल पूरा होने (20 नवंबर को) के बाद उन्हें मुख्यमंत्री बनाया जाए.

सोशल मीडिया तक पहुंचा सिद्धरमैया बनाम शिवकुमार
मुख्यमंत्री ने ‘एक्स’ पर पोस्ट कर कहा, ‘कर्नाटक के लोगों ने जो जनादेश दिया है, वह क्षण भर के लिए नहीं, बल्कि पूरे पांच साल की जिम्मेदारी है.’ शिवकुमार ने बृहस्पतिवार को सोशल मीडिया पर लिखा, ‘अपनी बात पर कायम रहना दुनिया की सबसे बड़ी ताकत है! वचन की ताकत ही विश्व-शक्ति है.’  उन्होंने कहा, ‘चाहे न्यायाधीश हों… या कोई और, चाहे मैं ही क्यों न हूं, सबको अपनी बात पर कायम रहना चाहिए. वचन की ताकत ही दुनिया की असली ताकत है.’ इस गूढ़ पोस्ट को कांग्रेस और सिद्धरमैया को याद दिलाने वाला माना जा रहा है कि 2023 में, जब दोनों मुख्यमंत्री पद के लिए होड़ में थे और पार्टी ने राज्य चुनाव में जीत हासिल की थी तो उनके बीच कथित रूप से सत्ता-साझाकरण का समझौता हुआ था.

सिद्धरमैया ने याद दिलाए अपने वादे
सिद्धरमैया ने अपने पोस्ट में बताया कि उन्होंने दुनिया को बेहतर कैसे बनाया. उन्होंने इसके लिए पांच गारंटी योजनाओं-‘शक्ति’, ‘गृह लक्ष्मी’, ‘युवा निधि’, ‘अन्न भाग्य’ और ‘गृह ज्योति’ का जिक्र किया. ये योजनाएं मुफ्त बिजली, महिलाओं को नकद सहायता और महिलाओं के लिए नि:शुल्क बस यात्रा से संबंधित हैं.सिद्धरमैया ने कहा कि 2013 से 2018 तक उनके पहले कार्यकाल में 165 में से 157 वादे पूरे किए गए, यानी 95 प्रतिशत से अधिक वादे पूरे हुए.

उन्होंने कहा, ‘मौजूदा कार्यकाल में, 593 में से 243 से अधिक वादे पूरे हो चुके हैं. बाकी सभी वादे प्रतिबद्धता, विश्वसनीयता और सावधानी के साथ पूरे किए जाएंगे.’मुख्यमंत्री ने कहा, ‘कर्नाटक की जनता द्वारा दिया गया जनादेश क्षण भर के लिए नहीं, बल्कि पूरे पांच साल की जिम्मेदारी है. मेरे समेत कांग्रेस पार्टी अपने लोगों के लिए सच्चाई, स्थिरता और साहस के साथ काम कर रही है. कर्नाटक के लिए हमारा वचन कोई नारा नहीं है, बल्कि हमारे लिए बहुत मायने रखता है.’

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