राजनीतिक लड़ाई में केंद्रीय एजेंसियों के इस्तेमाल पर सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर सवाल उठाया है. चीफ जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि राजनीतिक लड़ाई के लिए CBI या ED का दुरुपयोग नहीं होना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड विधानसभा में नियुक्तियों और पदोन्नतियों में कथित अनियमितता के मामले में यह टिप्पणी की है.
मंगलवार (18 नवंबर, 2025) को हुई सुनवाई में कोर्ट ने यह साफ किया कि फिलहाल इस मामले की सीबीआई जांच शुरू नहीं होगी. कोर्ट ने कहा है कि वह पूरे मामले को विस्तार से सुनकर ही कोई आदेश देगा. अदालत ने सीबीआई के उस अंतरिम आवेदन को खारिज कर दिया, जिसमें एजेंसी ने विधानसभा नियुक्ति मामले की जांच पर लगी रोक हटाकर प्रारंभिक जांच शुरू करने की अनुमति मांगी थी.
झारखंड हाई कोर्ट ने सीबीआई जांच के दिए थे आदेश
2018 में झारखंड के तत्कालीन राज्यपाल ने विधानसभा में हुई कथित अवैध नियुक्तियों की जांच के लिए कहा था, लेकिन उनके निर्देश पर अमल नहीं हुआ. सितंबर, 2024 में झारखंड हाई कोर्ट ने सामाजिक कार्यकर्ता शिव शंकर शर्मा की याचिका पर मामले की सीबीआई जांच का आदेश दिया था. हाई कोर्ट ने कहा कि आरोप गंभीर हैं और इसमें उच्च पदों पर बैठे लोगों की मिलीभगत की आशंका है. इसलिए राज्य पुलिस की तरफ से निष्पक्ष जांच संभव नहीं लगती.
झारखंड सरकार ने हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ SC का खटखटाया दरवाजा
इस आदेश के खिलाफ झारखंड सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची. नवंबर 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी. तब से यह रोक जारी है. मंगलवार (18 नवंबर) को हुई सुनवाई में सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट से प्रारंभिक जांच की अनुमति मांगी, लेकिन कोर्ट ने इससे मना कर दिया. कोर्ट ने सभी पहलुओं को सुनने के बाद ही कोई आदेश देने की बात कही है.
दोनों पक्षों की दलीलें सुनकर कोर्ट ने दिया निर्देश
सुनवाई के दौरान झारखंड सरकार के लिए पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि मामला राजनीति से प्रेरित है. ऐसे मसलों में सीबीआई बेवजह दखलंदाजी करती है. सीबीआई के लिए लेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एस. वी. राजू ने सिब्बल की बात का विरोध किया, लेकिन जज सिब्बल की बात से प्रथमदृष्टया सहमत नजर आए. चीफ जस्टिस ने कहा, ‘आप राजनीतिक विवाद में एजेंसी का इस्तेमाल क्यों करते हैं? कई बार कहा गया है कि जांच एजेंसियों के दुरुपयोग को रोका जाना चाहिए.’ इस मामले में 28 नवंबर, 2025 को आगे सुनवाई की संभावना है. तब सुप्रीम कोर्ट हाई कोर्ट के आदेश की कानूनी वैधता पर विस्तृत विचार करेगा.
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