ओपीडी में भी मरीजों की संख्या बढ़ी।
सर्दी अधिक पड़ने पर लोग शरीर में गर्माहट लाने के लिए सिगरेट और शराब का अधिक सेवन कर रहे हैं। इन लोगों के लिए एक बड़ी समस्या उभर कर सामने आ रही है। ऐसी सर्दी में उनका बीपी अनकंट्रोल हो रहा है और ब्रेन अटैक तक पढ़ रहे हैं। इसलिए सर्दियों में ये सोचकर बिल्
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कानपुर मेडिकल कॉलेज में चली रिसर्च
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के न्यूरो साइंसेस विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. मनीष सिंह ने एक रिचर्स की। ये रिसर्च ब्रेन अटैक के 250 मरीजों पर की गई। इन 250 मरीजों में 117 मरीज ऐसे थे, जो शराब या फिर सिगरेट का सेवन करते थे।
डॉ. मनीष सिंह ने 250 मरीजों पर की रिसर्च।
41 मरीज ऐसे भी थो जो शराब और सिगरेट दोनों का सेवन करते थे। 52 मरीज शराब और 65 मरीज सिगरेट पीते थे। 98 मरीज को डायबिटीज व 125 को ब्लड प्रेशर की समस्या थी। 72 मरीजों में दोनों समस्याएं थी।
30 से 55 वर्ष वालों में हुआ शोध
इस रिसर्च में 30 से 55 वर्ष के ब्रेन अटैक के मरीजों को शामिल किया गया था। उनकी जीवनशैली और खानपान का ब्यौरा पहले एकत्र किया गया। पता चला कि सर्दी दूर करने के लिए लोग शराब दो गुना पी रहे है और सिगरेट तीन गुना पीने लगते हैं। ये ओवर डोज शरीर को नुकसान पहुंचाता है।
अटैक के 4 मुख्य कारण होते है
डॉ. मनीष सिंह ने बताया कि स्टडी रिपोर्ट में ब्रेन अटैक के चार मुख्य कारण पता चले है। इसमें कि 80 फीसदी मरीजों में ब्लड प्रेशर, हाई ब्लड शुगर, शराब और सिगरेट कारण मिला है। लोगों को यह भ्रम रहता है कि शराब और सिगरेट पीने से ठंड कम लगती है। इस वजह से उन लोगों ने नार्मल दिनों की अपेक्षा इनकी डोज बढ़ा दी थी।
रोजाना 24 घंटे में ब्रेन अटैक के 10 से 12 आ रहे मरीज।
इससे ब्लड प्रेशर और ब्लड शुगर भी गड़बड़ा गया। वहीं, मरीजों ने ब्लड प्रेशर की दवा भी नियमित नहीं लीं। इससे भी ब्लड प्रेशर अचानक बढ़ा। खून का थक्का बनने से मरीजों को ब्रेन अटैक पड़ गया। दवा छोड़ने से भी बढ़ा बीपी डॉ. सिंह ने बताया कि कई मरीज ऐसे थे जो अपने ब्लड प्रेशर की जांच नियमित नहीं कराते थे, खासकर सर्दी के दिनों में। ब्लड प्रेशर जब बढ़ता था तो वह दवा खा लेते है और ब्लड प्रेशर समान्य होने पर सेवन करना छोड़ देते हैं, जिसकी वजह से उनमें समस्या इस काफी ज्यादा बढ़ गई। उन लोगों में ब्रेन अटैक तक की नौबत आ गई।
जीवनशैली में बदलाव न करना भी खतरनाक डॉ. मनीष सिंह ने बताया कि 250 मरीजों में से 15 मरीज ऐसे भी थे, जिनको दोबारा ब्रेन अटैक पड़ा था। पहली बार अटैक पड़ने पर तत्काल इलाज मिला तो वह सही हो गए थे, लेकिन इसके बाद भी इन मरीजों ने सही होने के बाद अपनी जीवनशैली में कोई सुधार नहीं किया। इसकी वजह से इनको दोबारा अटैक पड़ा। अस्पताल आने पर इनकी जान तो बच गई लेकिन आधे अंग में कमजोरी आ गई।