गोंडा जिले के सरकारी विद्यालयों में जर्जर भवनों के नीचे बच्चों को पढ़ाया जा रहा है। इन भवनों की छतों से प्लास्टर टूट-टूटकर गिर रहा है। बारिश के दौरान छतों से पानी टपकने से बच्चों को पढ़ने में काफी परेशानी होती है।
गोंडा जिला मुख्यालय से मात्र 5 किलोमीटर दूर स्थित उच्च प्राथमिक विद्यालय जानकी नगर की स्थिति बेहद खराब है। यहां कक्षा 6,7,8 और प्रधानाध्यापक का कक्ष जर्जर अवस्था में है। आए दिन छत के प्लास्टर गिरने से प्रधानाध्यापक और बच्चों को परेशानी का सामना करना पड़ता है।
इस विद्यालय को सितंबर 2024 में ही जिला बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा जर्जर घोषित किया गया था। विद्यालय का निर्माण 2001 में हुआ था। बारिश के मौसम में यहां छत से पानी टपकता है। बच्चे अपनी जान जोखिम में डालकर मजबूरी में यहां बैठकर पढ़ाई कर रहे हैं। गोंडा जिले में कुल 731 विद्यालयों को जर्जर घोषित किया गया है। इनमें मूल भवन, अतिरिक्त भवन और रसोई घर जर्जर अवस्था में हैं।
जर्जर भवनों की होगा परीक्षण अपर जिला अधिकारी आलोक कुमार ने बताया कि डीएम ने जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि जर्जर भवनों का परीक्षण करवाया जाए और किसी भी स्थिति में ऐसे भवनों में बच्चों को न पढ़ाया जाए। अधिकारी ने यह भी कहा कि अगर शासन से धनराशि की आवश्यकता है तो उसे मंगवाकर आवश्यक मरम्मत करवाई जाए।
केवल सुरक्षित भवनों में होगी पढ़ाई जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि केवल सुरक्षित भवनों में ही बच्चों को पढ़ाया जाए और शासन के निर्देशों के अनुसार आगे की कार्रवाई की जाए। वहीं सहायक अध्यापक दीप्ति श्रीवास्तव ने बताया कि बच्चों को बहुत दिक्कत हो रही है बारिश होती है तो लगता है की छत कहीं गिर ना जाए। बच्चों को इधर-उधर करके हम लोग बैठाते हैं, बारिश जब होती है तो छत टपकती रहती है।
हम लोगों ने इसकी जर्जर होने की सूचना बेसिक विभाग को भेज दी है। बच्चों को भी डर लगता है। बच्चे कहते हैं मैंम हम क्या करें गिर जाएगा हमारे ऊपर तो क्या होगा। बच्चे इसके नीचे बैठना नहीं चाहते हैं फिर भी हम लोग बैठते हैं। हम लोगों ने इसकी जर्जर होने की सूचना बेसिक विभाग को भेज दी है।
Aaina Express
