इस बार दीपोत्सव 18 अक्टूबर को धनतेरस से शुरू होकर 23 अक्टूबर को भाई दूज पर समाप्त होगा। यह महापर्व इस बार लगातार 6 दिनों तक मनाया जाएगा, जबकि आमतौर पर इसे पांच दिनों तक मनाया जाता है। कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 18 अक्टूबर दोपहर 12:18 बजे से प्रारंभ होगी।
त्योहारों की तिथियां और महत्व:
18 अक्टूबर – धनतेरस / धनत्रयोदशी:
धनतेरस की शुरुआत दोपहर 12:18 बजे होगी और समापन 19 अक्टूबर दोपहर 01:51 बजे होगा। इस दिन माता लक्ष्मी, भगवान कुबेर और भगवान धन्वंतरी की पूजा करने से धन-संपत्ति में वृद्धि होती है। लोग स्वर्ण, रजत, पीतल या तांबे की खरीदारी करते हैं। पूजा और खरीदारी के लिए शुभ मुहूर्त: अभिजित मुहूर्त 12:18 से 12:48 तक, लाभ-उन्नति चौघड़िया 01:51 से 03:18 तक, प्रदोष काल शाम 06:11 से रात 08:41 तक।
19 अक्टूबर – नरक चतुर्दशी / हनुमान जयंती:
इस दिन भगवान श्रीकृष्ण, यमदेव और हनुमानजी की पूजा का विशेष विधान है। वाल्मीकि रामायण के अनुसार हनुमान जी का जन्म इसी दिन हुआ था। नरक चतुर्दशी पर हनुमान जी की पूजा करके प्रसाद अर्पित करने से संकट दूर होते हैं। यम देवता की पूजा करने से मृत्यु का भय कम होता है। शाम को पंचमुखी दीया या यम दीपक जलाना शुभ माना जाता है।
20 अक्टूबर – दीपावली:
इस दिन लक्ष्मी-गणेश की पूजा कर घर में समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा लाने का विधान है। कार्तिक अमावस्या की अर्धरात्रि में भगवान गणेश-लक्ष्मी और कुबेर घरों में विचरण करते हैं। प्रदोषकाल में दीपदान का विधान है। स्थिर लग्न का समय शाम 07:10 से रात 09:06 तक, दिन का स्थिर लग्न दोपहर 02:34 से शाम 04:05 तक।
22 अक्टूबर – गोवर्धन पूजा / अन्नकूट:
दीपावली के अगले दिन प्रतिपदा तिथि को गोवर्धन पूजा मनाई जाती है। इस दिन भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को उठाकर ब्रजवासियों को इंद्र के प्रकोप से बचाया था। लोग अन्नकूट का भोग तैयार कर भगवान को अर्पित करते हैं और प्रसाद वितरित करते हैं।
23 अक्टूबर – भाई दूज:
भाई-बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक यह पर्व यम द्वितीया और भ्रातृ द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि इस दिन यमराज अपनी बहन यमुना के घर गए थे और उन्होंने अपने भाई को तिलक लगाने का वरदान दिया। इस साल द्वितीया तिथि 22 अक्टूबर रात 06:16 बजे से 23 अक्टूबर रात 08:22 बजे तक रहेगी। भाई का तिलक कराने का शुभ मुहूर्त दोपहर 01:13 से 03:28 तक है।