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जेलों में 3.75 लाख विचाराधीन कैदी: बरेली के संगठन ने राष्ट्रपति से न्यायिक SIT की मांग की, कहा– कई बेगुनाह बिना दोष के जेल में बंद हैं – बरेली समाचार।

बरेली के सामाजिक संगठन ‘सामाजिक गरीब शक्ति दल’ ने देश की जेलों में बंद कैदियों की स्थिति पर चिंता जताई है। संगठन ने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और अन्य उच्च पदाधिकारियों को पत्र भेजा है।

 

संगठन ने राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़े पेश किए हैं। इनके अनुसार देश की जेलों में 3.75 लाख से ज्यादा विचाराधीन कैदी हैं। इनमें से अधिकतर अभी तक दोषी साबित नहीं हुए हैं।

पत्र में आरोप लगाया गया है कि पुलिस भ्रष्टाचार और व्यक्तिगत रंजिश के कारण कई निर्दोष लोगों को झूठे मुकदमों में फंसा रही है। इससे भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14, 20, 21, 22 और कारागार अधिनियम का उल्लंघन हो रहा है।

जेलों में कैदियों को खराब भोजन दिया जा रहा है। उनके साथ अमानवीय व्यवहार किया जाता है। लंबे समय तक सलाखों के पीछे रखने से उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो रही है।

संगठन ने देश के सभी 813 जिलों में न्यायिक विशेष जांच दल (SIT) के गठन की मांग की है। इससे मुकदमों की निष्पक्ष जांच हो सकेगी। साथ ही पुलिस की जांच प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने की मांग की गई है।

संगठन ने एक ‘अपराध क्षमा योजना’ का प्रस्ताव भी रखा है। इसके तहत स्वतंत्रता दिवस या गणतंत्र दिवस पर गैर-गंभीर अपराधों के कैदियों को रिहा करने की मांग की गई है। संगठन का मानना है कि इससे भारत को ‘अपराध मुक्त राष्ट्र’ के रूप में पहचान मिल सकेगी।

 

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