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एसएन मेडिकल कॉलेज बनेगा मिनी एम्स हब: 130 बेड की नई क्रिटिकल यूनिट में फेफड़ों की सर्जरी और ट्रांसप्लांट की सुविधा उपलब्ध होगी।

इंटीग्रेटेड योजना के तहत एस.एन. मेडिकल कॉलेज में मिनी एम्स जैसी आधुनिक सुविधाएं विकसित की जा रही हैं। कॉलेज परिसर में 130 बेड की अत्याधुनिक क्रिटिकल केयर यूनिट बनाई जा रही है, जो अगले 15 महीनों में तैयार हो जाएगी।

इस यूनिट में फेफड़ों के कैंसर, निमोनिया, अस्थमा, टीबी समेत सीने से जुड़ी सभी गंभीर बीमारियों का इलाज किया जाएगा। यहां फेफड़ों की सर्जरी और भविष्य में ट्रांसप्लांट की सुविधा भी उपलब्ध होगी।

एमडीआर टीबी मरीजों के लिए अलग आइसोलेशन वार्ड भी बनाया जा रहा है। लेडी लॉयल परिसर में 10 मंजिला नई इमारत का निर्माण चल रहा है, जिसमें 130 बेड की व्यवस्था होगी। इसमें एमडीआर टीबी मरीजों के लिए 25 आइसोलेशन कमरे बनाए जा रहे हैं ताकि संक्रमण फैलने से रोका जा सके।

इसके अलावा, 25 बेड का वार्ड निमोनिया, अस्थमा और अन्य सांस रोगियों के लिए तथा 50 बेड का वार्ड टीबी मरीजों के लिए बनाया जा रहा है। इमारत में चार आधुनिक ऑपरेशन थिएटर होंगे, जहां फेफड़ों के कैंसर सहित अन्य जटिल सर्जरी की जा सकेगी।

30 बेड की क्रिटिकल केयर यूनिट भी बनाई जा रही है, जिसमें वेंटिलेटर और अन्य जीवनरक्षक उपकरणों की सुविधा होगी। इससे गंभीर सीने के रोगियों को बेहतर इलाज मिल सकेगा।

छात्र सुविधाओं के लिए, एस.एन. मेडिकल कॉलेज में अब एमबीबीएस और पीजी की सीटें बढ़कर 398 हो गई हैं। छात्रों के लिए हॉस्टल की कमी को देखते हुए 1060 छात्र-छात्राओं के लिए नए हॉस्टल बनाए जा रहे हैं। इसमें पुरुष और महिला दोनों के लिए 265-265 कमरों वाले आठ मंजिला हॉस्टल तैयार किए जा रहे हैं, जिनमें रिसेप्शन, वेटिंग एरिया और अन्य आधुनिक सुविधाएं होंगी। निर्माण कार्य अगले साल जून तक पूरा हो जाएगा।

मिनी एम्स जैसी सुविधाओं वाली यह नई इमारत अगले साल दिसंबर तक पूरी तरह तैयार हो जाएगी। विशेषज्ञ डॉक्टरों की नियुक्ति के बाद मरीजों के लिए सेवाएं शुरू कर दी जाएंगी। वर्तमान में सर्जरी विभाग में संचालित वक्ष एवं क्षय रोग विभाग को भी यहां स्थानांतरित किया जाएगा। यह परियोजना पूरी होने के बाद आगरा और आसपास के जिलों के मरीजों को दिल्ली या लखनऊ जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

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