शाहजहांपुर में वित्त मंत्री सुरेश के नाम से भेजे गए फर्जी प्रार्थना के मामले में अज्ञात के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली गई है। लेकिन प्रार्थना पत्र में लगाए गए आरोपों का प्रशासन ने कोई संज्ञान तक नहीं लिया। प्रार्थना पत्र फर्जी होने की तस्दीक कर लेखपाल ने
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जब उनसे पूछा कि क्या आरोपों की जांच कराई गई तो उनका कहना है कि फर्जी प्रार्थना पत्र की जांच नहीं कराई जाती। जबकि एक पूर्व प्रधान पर प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत अपात्रों के नाम से करोड़ों का सरकारी धन की चोरी का आरोप लगाया गया। खास बात ये है कि एफआईआर दर्ज होने के बाद भी आलाधिकारियों को गंभीर प्रकरण की जानकारी तक नहीं है।
9 सितंबर को वित्त मंत्री के नाम से आया था पत्र
9 सितंबर को वित्त मंत्री सुरेश खन्ना के नाम से एक प्रार्थना पत्र एसडीएम सदर को भेजा गया था। प्रार्थना पत्र में चिनौर गांव के पूर्व प्रधान पर प्रधान प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत अपात्रों के नाम पर करोड़ों की सरकारी धन चोरी करने का आरोप लगाया गया। यहां तक कि पूर्व प्रधान समेत उसके कई करीबियों के नाम भी लिखे गए हैं।
हल्का लेखपाल गुरुप्रकाश ने जांच करने के बाद प्रार्थना पत्र फर्जी होने की तस्दीक कराकर अज्ञात के खिलाफ एफआईआर दर्ज करा दी। अब सवाल ये उठ रहा है कि आखिर प्रार्थना पत्र में इतने गंभीर आरोपों की जांच क्यों नहीं कराई गई। अगर प्रार्थना पत्र फर्जी भी है, तो उसमे लगाए गए आरोपों में कितनी सच्चाई है। प्रशासन ने ये भी जानने की कोशिश नहीं की।
वित्त मंत्री की छवि धूमिल करने का प्रयास
लेखपाल गुरुप्रकाश ने बताया कि प्रार्थना पत्र मिलने के बाद जांच कराने पर फर्जी पाया गया। फर्जी प्रार्थना पत्र में लगाए गए आरोपों की जांच कराने का कोई औचित्य नही है। उन्होंने कहा कि चिनौर गांव से कभी इस तरह की कोई शिकायत भी नहीं आई है। दर्ज कराई एफआईआर में लेखपाल ने दर्शाया है कि वित्त मंत्री की छवि धूमिल करने, रंगदारी और वसूली के उद्देश्य से प्रार्थनापत्र भेजा गया है।
उन्होंने कहा कि इतना समय सिर्फ इसलिए लग गया कि वित्त मंत्री से प्रार्थना पत्र के लिए कई बार संपर्क करने की कोशिश की लेकिन उनसे बात नहीं हो पाई थी।
एडीएम बोले-प्रकरण की जानकारी नहीं
प्रार्थना पत्र एसडीएम सदर को भेजा गया था। जब उनसे प्रार्थना पत्र के संबध में जानकारी लेने की कोशिश की तो उनके सीयूजी नंबर पर कई बार काॅल की लेकिन काॅल रिसीव नहीं हुई और न उनकी तरफ से कोई रिप्लाई किया गया। वहीं जब इस मामले में एडीएम प्रशासन संजय पांडेय से बात की तो उन्होंने कहा कि प्रकरण की जानकारी नहीं है। जानकारी होने पर ही कुछ बोलना ठीक होगा।
इससे पहले भी लगातार प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत दिए गए आवासों को लेकर कई बार धांधली के आरोप लगाए गए। तहसीलों से लेकर मुख्यालय आकर लोगों ने पात्रों को न देकर अपात्रों को आवास देने के आरोप लगाए गए। माना जा रहा है कि प्रार्थना पत्र तो फर्जी निकला, लेकिन उसमें लगाए गए आरोपों की जांच कराई जाए तो बड़ा खेल सामने आ सकता है।