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गोरखपुर विश्वविद्यालय में फर्जीवाड़े का बड़ा खुलासा: एक ही साल में दो मार्कशीट, एसटीएफ से जांच की सिफारिश

बेसिक शिक्षा विभाग में फर्जी मार्कशीट के जरिए नौकरी पाने के मामले में गोरखपुर विश्वविद्यालय से एक बड़ा खुलासा हुआ है। इस बार आजमगढ़ की एक महिला अभ्यर्थी के बीएड की एक ही वर्ष (1992) में दो अलग-अलग कॉलेजों से मार्कशीट जारी होने की बात सामने आई है। जब इनकी जांच की गई, तो पता चला कि इनमें से किसी भी रोल नंबर का विश्वविद्यालय रिकॉर्ड में कोई विवरण मौजूद नहीं है।

मामले का खुलासा
आजमगढ़ के बीएसए कार्यालय ने एक महीने पहले गोरखपुर विश्वविद्यालय को बीएड मार्कशीट सत्यापन के लिए पत्र भेजा। जांच में सामने आया कि महिला अभ्यर्थी की एक ही साल में देवरिया और कुशीनगर के कॉलेज से दो मार्कशीट हैं। इस खुलासे के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने तुरंत जांच समिति गठित कर दी, जो जल्द ही कुलपति को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी।

शिक्षिका प्रीति जायसवाल पर केस
इसी तरह एक और गंभीर मामला सामने आया है जिसमें शैक्षणिक अभिलेखों में छेड़छाड़ कर अंक बढ़ाए गए। गोरखपुर विश्वविद्यालय ने इस मामले में वर्खास्त शिक्षिका प्रीति जायसवाल, विश्वविद्यालय के अज्ञात कर्मचारियों और सेंट एंड्रयूज कॉलेज के कुछ कर्मचारियों पर पुलिस में केस दर्ज कराया।

परीक्षा नियंत्रक डॉ. कुलदीप सिंह ने बताया कि प्रीति जायसवाल के बीए (1998, 1999, 2000) और बीएड (2001) के अंकपत्रों की जांच की गई। इसमें पाया गया कि सेंट एंड्रयूज कॉलेज से जारी बीए थर्ड ईयर (2000) की मार्कशीट में अंकों में बदलाव किया गया था। विश्वविद्यालय के रिकॉर्ड में मनोविज्ञान विषय के अंक 41, 06, 47 और 26 थे, जबकि मार्कशीट में इन्हें बढ़ाकर 62, 51, 57 और 34 कर दिया गया। राजनीति शास्त्र में भी इसी तरह के बड़े अंतर पाए गए। जांच समिति ने कहा कि यह मार्कशीट पूरी तरह फर्जी है।

रिकॉर्ड में गड़बड़ी
जांच में यह भी पता चला कि बीए फर्स्ट ईयर (1998) की सारणीकरण पंजिका का एक पन्ना गायब था, बीए सेकंड ईयर (1999) के अंकों में छेड़छाड़ हुई और बीए थर्ड ईयर (2000) के पन्ने बदले हुए पाए गए। इससे यह स्पष्ट हो गया कि विश्वविद्यालय के रिकॉर्ड कक्ष में भी हेराफेरी हुई है।

एसटीएफ जांच की सिफारिश
कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने बताया कि मामले की गंभीरता को देखते हुए विश्वविद्यालय ने स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) से जांच कराने के लिए उच्च शिक्षा विभाग को पत्र भेजा है। साथ ही, सभी संबंधित मामलों की जांच के लिए आंतरिक समिति भी बनाई गई है।

विश्वविद्यालय ने 2000 से 2022 तक के सभी परीक्षा प्रभारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किए हैं। इनमें से दो कर्मचारी अब नहीं रहे। सेंट एंड्रयूज कॉलेज को भी निर्देश दिए गए हैं कि संलिप्त कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए।

कुलपति ने स्पष्ट किया, “हम किसी को भी बख्शेंगे नहीं। अभिलेखों में छेड़छाड़ या फर्जी दस्तावेजों के मामलों की जांच एसटीएफ से कराई जा रही है। जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।”

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