दिवाली के दिन लखनऊ के अस्पतालों में मरीजों की भारी भीड़ देखने को मिली। पटाखों से जलने और हादसों में घायल हुए बड़ी संख्या में लोग इलाज के लिए पहुंचे। सोमवार को राजधानी के चार बड़े सरकारी अस्पतालों में 1000 से ज्यादा मरीजों ने उपचार कराया, जिनमें बर्न पेशेंट और एक्सीडेंटल केस शामिल थे।
पटाखों से जलकर 10 साल की बच्ची गंभीर रूप से झुलस गई। सिविल अस्पताल में भर्ती कर उसका इलाज बर्न वार्ड में शुरू किया गया। कुछ गंभीर मरीजों को हायर सेंटर भी रेफर किया गया।
लोकबंधु अस्पताल में बढ़ी मरीजों की संख्या
राजनारायण लोकबंधु संयुक्त अस्पताल में 24 घंटे के भीतर 329 मरीज पहुंचे, जिनमें से 224 मरीज सिर्फ 12 घंटे में आए। पटाखों से झुलसने वाले 28 लोगों का इलाज किया गया, जिनमें 24 पुरुष और 4 महिलाएं थीं। पांच मरीज आंखों में जलन की शिकायत लेकर पहुंचे, जिनका मौके पर ही उपचार कर छुट्टी दे दी गई।
सिविल अस्पताल में पहुंचे दो दर्जन से अधिक मरीज
डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी सिविल अस्पताल में दिवाली के दौरान बड़ी संख्या में जले और घायल मरीज पहुंचे। 24 घंटे में कुल 268 मरीज आए, जिनमें 83 बर्न केस और 35 एक्सीडेंटल मरीज थे। अस्पताल में 10 साल की बच्ची गंभीर रूप से झुलसी थी, जिसके चेहरे पर जलन के कारण तत्काल भर्ती कर इलाज शुरू किया गया। बाकी अधिकतर मरीजों को प्राथमिक उपचार के बाद छुट्टी दे दी गई।
बलरामपुर अस्पताल में 482 मरीज पहुंचे
बलरामपुर अस्पताल में 24 घंटे के भीतर 482 मरीज पहुंचे, जिनमें से 67 को भर्ती किया गया। इनमें एक मरीज गंभीर रूप से झुलसा हुआ था। अस्पताल प्रशासन ने दिवाली को देखते हुए पहले से ही बर्न, प्लास्टिक सर्जरी और नेत्र रोग विभागों के डॉक्टरों को तैनात कर दिया था।
कुल मिलाकर, दिवाली के दिन पटाखों और हादसों से लखनऊ के अस्पतालों में मरीजों की संख्या में उल्लेखनीय बढ़ोतरी देखने को मिली।