ब्लड डोनेट करने वालों का इलाज शुरू कर दिया गया है।
मुजफ्फरनगर जिला अस्पताल के ब्लड बैंक में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। पिछले पांच महीनों में 303 ऐसे रक्तदाता ऐसे मिले, जो एचआईवी और हेपेटाइटिस जैसी गंभीर बीमारियों से संक्रमित थे। गनीमत रही कि नियमित जांच प्रक्रिया के चलते यह रक्त जरूरतमंदों क
.
जिला चिकित्सालय का ब्लड बैंक रोजाना लगभग 50 रक्तदाताओं से रक्त लेता है। हर रक्तदाता की काउंसलिंग के बाद वजन, उम्र, बीपी और शुगर स्तर की जांच की जाती है। रक्त दान के बाद सैंपल को एचआईवी, हेपेटाइटिस बी और सी, मलेरिया और सिफलिस जैसी बीमारियों के लिए जांचा जाता है। जिन सैंपल में संक्रमण की पुष्टि होती है, उन्हें तत्काल नष्ट कर दिया जाता है।
ये मामले आए सामने
अगस्त 2024: हेपेटाइटिस बी – 17, हेपेटाइटिस सी – 47, एचआईवी – 03
सितंबर 2024: हेपेटाइटिस बी – 27, हेपेटाइटिस सी – 39, एचआईवी – 01
अक्टूबर 2024: हेपेटाइटिस बी – 27, हेपेटाइटिस सी – 27, एचआईवी – 02
नवंबर 2024: हेपेटाइटिस बी – 19, हेपेटाइटिस सी – 33, एचआईवी – 03
दिसंबर 2024: हेपेटाइटिस बी – 16, हेपेटाइटिस सी – 33, एचआईवी – 00
जनवरी 2025: हेपेटाइटिस बी – 05, हेपेटाइटिस सी – 16, एचआईवी – 00
सूचना देकर इलाज शुरू अधिकारियों ने संक्रमित रक्तदाताओं को उनकी स्थिति के बारे में सूचित कर तुरंत इलाज शुरू कराया। इन रक्तदाताओं को अस्पताल में ही स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराई जा रही हैं।
पूरी तरह सुरक्षित है प्रक्रिया ब्लड बैंक अधिकारी पीके त्यागी ने कहा कि ब्लड बैंक में रक्त लेने और देने की प्रक्रिया पूरी तरह सुरक्षित है। हर रक्तदाता के रक्त की जांच के लिए कड़ी प्रक्रिया अपनाई जाती है। पिछले पांच महीनों में 303 संक्रमित रक्तदाताओं की पहचान कर उन्हें समय पर इलाज मुहैया कराया गया है।’बायोमेडिकली नष्ट कराया
वहीं सीएमओ डॉ सुनील तेवतिया का कहना है कि ये एक नॉर्मल प्रक्रिया है, डोनेट ब्लड को किसी पेशेंट को चढ़ाया जाता है तो पहले उसकी जांच होती है। अगर वो ब्लड संक्रमित पाया जाता है तो उसे बायोमेडिकली तरीके से नष्ट कर दिया जाता है’।